दिल्ली। शराब दूकानें खुलने के बाद देश में इसे लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं लेकिन जानिए क्यों राज्यों के लिए है यह इतनी अहम... 4 मई से जहां देश में Lockdown 3.0 की शुरुआत हुई है वहीं दूसरी तरफ देश के कई राज्यों में शराब दुकानें भी खुल गई हैं। इन शराब दुकानों को खोलने का फैसला केंद्र सरकार का था जिस पर ज्यादातर राज्यों ने मुहर लगा दी। नतीजा यह निकला कि पहले दिन जब कर्नाटक, यूपी, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में शराब की ये दुकनें खुलीं तो लोग टूट पड़े। शराब के शौकीन कहिए या फिर शराब के दीवाने, हजारों की भीड़ किसी भी नियम और कानून की परवाह किए बगैर, लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए शराब दुकानों पर ऐसे झूम उठी जैसे मधुमक्खियां छत्ते में नजर आती हैं।
कर्नाटक में जहां पहले ही दिन 45 करोड़ की शराब बिक गई वहीं यूपी और दिल्ली में भी रिकॉर्ड टूटने वाले हैं। दिल्ली वालों ने तो शराब पर लगे 70 प्रतिशत टैक्स के बावजूद जी भर के पी है। हालात तो ये हो गए कि लोग सोशल मीडिया में शराब के इन दीवानों को अर्थव्यस्था का अहम योगदानकर्ता तक कहने लगे। असल में ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि शराब से मिलने वाला रेवेन्यू किसी भी राज्य के अपने टैक्स रेवेन्यू का तीसरा बड़ा हिस्सा पैदा करता है।
शराब से मिलने वाला रेवेन्यू किसी भी राज्य में आसान और सबसे बड़ी कमाई है। वहीं राज्य में पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट के अलावा दूसरी चीजों से मिलने वाला रेवेन्यू सीमित होता है। हालांकि, इसके बावजूद गुजरात और बिहार में इसी सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाली शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा है।
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ऐसे राज्य हैं जिन्होंने 4 मई से शराब की बिक्री की मंजूरी दे दी है लेकिन वो भी चुनिंदा जगहों पर। जहां तक एक्साइज या आबकारी टैक्स की बात है तो राज्यों के लिए यह रेवेन्यू का बड़ा साधन है। 2019-20 में शराब ने ही इसका 12.5 प्रतिशत रेवेन्यू दिया है। राज्यों को सबसे ज्यादा कमाई पेट्रोलियम उत्पादों पर स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स (SGST) और वैट या सेल्स टैक्स से होती है।
पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर GST लागू नहीं होता है और ऐसे में हर राज्य अपने अनुसार इन पर वैट या सेल्स टैक्स वसूलता है। राज्यों के अपने रेवेन्यू में SGST का 2019-20 में हिस्सा 43.5 प्रतिशत था वहीं पेट्रोलियम उत्पादों पर सेल्स और वेट 23.2 प्रतिशत था।
राज्यों का बजट और एक्साइज ड्यूटी:-
रिजर्व बैंक द्वारा स्टेट फाइनेंसेस में दी गई राज्यों के बजट की जानकारी के अनुसार 2019-20 में राष्ट्रीय स्तर पर शराब की सेल पर लगी एक्साइज ड्यूटी 1.75 लाख करोड़ थी। बता दें कि राज्यों के अपने टैक्स से मतलब उन टैक्सेस से है जो राज्य सरकारें लगाती हैं। मसलन पेट्रोल और शराब पर लगने वाला टैक्स राज्य सरकारें बढ़ा और घटा सकती हैं।
शराब से संभावित टैक्स कलेक्शन:-
रिजर्व बैंक ने अपनी स्टडी में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में शराब से 31,517 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी मिलने वाली है वहीं कर्नाटक को 20,950 करोड़ के रेवेन्यू का अनुमान जताया गया था जबकि पश्चिम बंगाल को 11.873 करोड़ का। 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी ने संयुक्त रूप से 1.75 लाख करोड़ का रेवेन्यू पाया जो कि 2018-19 के मुकाबले 16 प्रतिशत ज्यादा था। औसतन राज्यों ने हर महीने 12,500 करोड़ रुपए का रेवेन्यू 2018-19 में कमाया जो बढ़कर 2019-20 में 15,000 करोड़ प्रति माह हो गया।
राज्यों के अलग-अलग टैक्स की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में यूपी ने हर महीने शराब से औसतन 2,500 करोड़ टैक्स के रूप में कमाए वहीं इस वित्त वर्ष में इसके बढ़कर 3000 करोड़ होने की उम्मीद जताई गई थी।
राज्यों के टैक्स:-
जहां तक शराब पर टैक्स की बात है तो कई राज्य वैट और एक्साइज ड्यूटी के अलावा शराब के विदेशी ब्रांड्स पर भी टैक्स वूसलते हैं जैसे तमिलनाडु में किया जाता है। वहीं यूपी में शराब पर अलग से विशेष टैक्स भी लगाया जाता है जिसका उपयोग विभिन्न कामों के लिए किया जाता है।
कौन सा राज्य कमाता है सबसे ज्यादा टैक्स:-
अगर इसकी बात करें तो फिलहाल राज्यों के वित्त वर्ष 2018-19 के ही आंकड़े उपलब्ध हैं और इनके अनुसार पांच राज्यों ने इस दौरान सबसे ज्यादा एक्साइज ड्यूटी कमाई. इनमें उत्तर प्रदेश ने सबसे ज्यादा 25,100 करोड़, कर्नाटक ने 19,750 करोड़, महाराष्ट्र ने 15,343 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 10,554 करोड़ और तेलंगाना ने 10,313 करोड़।