भोपाल. कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद लोगों में सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई या नहीं इसका पता लगाने के लिए केन्द्र सरकार एक सर्वे करा रहा है. मध्य प्रदेश के चार जिलों में केन्द्र सरकार ने SERO सर्वे कराने का फैसला किया है. जनसंख्या आधारित ये सर्वे फिलहाल रेड जोन वाले जिलों में किया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इस सर्वे के आलाव बाकी रूटीन टेस्ट भी होते रहेंगे. इस सर्वे से सरकार ना सिर्फ कोरोना संक्रमण के ट्रेंड पर नजर रख पाएगी बल्कि इससे कम्युनिटी ट्रांसमिशन को भी रोक जा सकेगा.
क्या है SERO सर्वे:-
SERO सर्वे में किसी खास इलाके में एक साथ कई लोगों के ब्लड सीरम टेस्ट किए जाते हैं. आमतौर पर ये जिले के स्तर पर होता है. इससे ये पता चल जाता है कि आखिर संक्रमण किस स्तर पर फैल रहा है. ये सर्विलांस इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और सरकार के दूसरे डिपार्टमेंट की तरफ से किए जाएंगे. प्रदेश में ये सर्वे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से कराया जा रहा है. इसके तहत प्रदेश के चार जिलों से कुल 1700 आम नागरिकों के नमूने लिए गए हैं. ये वे लोग है जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण नहीं थे. एक्सपर्टस का मानना है कि इससे चारों जिलों के लोगों में इस महामारी के फैलाव की सटीक जानकारी मिल सकेगी. इसके अलावा ये भी पता चल सकेगा कि समुदाय पर इस वायरस के हमले के बाद लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई है या नहीं? जिन चार जिलो में ये सर्वे कराया जा रहा है इसमें इंदौर, देवास, उज्जैन और ग्वालियर शामिल हैं.
इस तरह से पता चलेगा कितनी विकसित हुई इम्युनिटी:-
सर्वेक्षण के तहत रक्त के सीरम की जांच की जाएगी. इसमें अगर संबंधित व्यक्ति सार्स-सीओवी-2 के हमले का शिकार हुए हैं, तो उनके रोग प्रतिरोधक तंत्र ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है और उनके रक्त में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई है या नहीं? इससे हुई इम्युनिटी के बारे में भी जानकारी मिलेगी. इसके लिए इंदौर के 500 लोगों के अलावा देवास, उज्जैन और ग्वालियर जिलों में 400-400 लोगों के ब्लड सैंपलस कलेक्ट किए गए हैं. सर्वेक्षण के परिणामों के तुलनात्मक स्टडी से पता चल सकेगा कि इंदौर में सार्स-सी ओबी-2 तेजी से क्यों फैला,जबकि दूसरे जिलों में इस वायरस का प्रचार तुलनात्मक कम क्यों रहा. स्टडी के बाद इस सर्वे रिपोर्ट को देश के सभी राज्यों के साथ भी साझा किया जाएगा ताकि उन्हें कोविड-19 के खिलाफ रणनीति बनाने में मदद मिल सके.