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Wednesday, June 24, 2020

बुंदेलखंड, विंध्य और चंबल में जातियों की सियासत भाजपा के लिए चुनौती

भोपाल। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य और चंबल-ग्वालियर अंचल में जातियों की सियासत से निपटना भाजपा के लिए चुनौती बन गया है। मामला चाहे कैबिनेट विस्तार का हो या उपचुनाव का, दोनों ही मोर्चों पर भाजपा को संकट का सामना करना पड़ रहा है। बुंदेलखंड के सागर जिले की ही बात करें तो यहां जातीय आधार पर मंत्री पद के पांच दावेदार हैं। यही हालात चंबल-ग्वालियर के हैं। यहां मंत्री बनने के लिए पुराने भाजपाई और सिंधिया समर्थकों के बीच जंग छिड़ी हुई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग इसी सियासत का एक नमूना है। विंध्य में तो सारे विधायक एकजुट होकर पार्टी को चुनौती दे रहे हैं।
चंबल में जाटव के बीच असंतुलन:-
प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए शिवराज कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव में पार्टी का चेहरा हो सकते हैं। ऐसे में सिंधिया खेमे को नाराज नहीं किया जा सकता है। सिंधिया खेमे के नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर पार्टी उपचुनाव में जाने की तैयारी कर रही है, लेकिन यही विषय विवाद खड़े कर रहा है। चंबल-ग्वालियर में सबसे ज्यादा वोट जाटव हैं।
सिंधिया खेमे से दो जाटव मंत्री पद के दावेदार हैं। इससे नाराज होकर पुराने भाजपाई जाटव नेता नाराज हैं। गोपीलाल जाटव अनुसूचित जाति के वरिष्ठ विधायक हैं। पिछली शिवराज सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया जा रहा था, लेकिन तब उपचुनाव के कारण उनकी शपथ टाल दी गई थी। अब सिंधिया कोटे के कारण फिर जाटव की राह में कांटे बिछ गए हैं।
जातीय दावेदार बिगाड़ रहे संतुलन:-
शिवराज कैबिनेट के विस्तार की एक बड़ी चुनौती है जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण। सागर जिले से पार्टी से पांच बड़े नेता दावेदार हैं। गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, प्रदीप लारिया और शैलेंद्र जैन, जबकि गोविंद सिंह राजपूत पहले ही मंत्री बन चुके हैं। ऐसे में किस नेता को कैबिनेट में जगह दी जाए और किसे नहीं, पार्टी के सामने मुश्किलें हैं। भूपेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री का विश्वस्त माना जाता है। प्रदीप लारिया अहिरवार समाज से होने के नाते दावा जता रहे हैं। भार्गव नेता प्रतिपक्ष रहे हैं, इसलिए स्वाभाविक दावेदार हैं।
इंदौर से कई दावेदार हैं:-
फिलहाल इंदौर जिले से तुलसी सिलावट मंत्री हैं। तुलसी सिलावट के अलावा ऊषा ठाकुर, रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ प्रमुख दावेदार हैं। रमेश मेंदोला, कैलाश विजयवर्गीय के करीबी हैं। विंध्य क्षेत्र से राजेंद्र शुक्ल के अलावा केदार शुक्ला, गिरीश गौतम, रामखिलावन पटेल और आदिवासी कुंवर सिंह टेकाम दावेदार हैं, जबकि विंध्य क्षेत्र से मीना सिंह पहले ही कैबिनेट मंत्री हैं। विंध्य में ब्राह्मण और ठाकुर दोनों के बीच संतुलन बनाना भी भाजपा के लिए चुनौती है। वहां के सारे विधायक एकजुट होकर राजेंद्र शुक्ल का रास्ता रोकने पर अड़े हुए हैं।
भाजपा के समर्थन में सामाजिक, जातीय और राजनीतिक समीकरण अनुकूल रहे हैं। चूंकि भाजपा जाति विशेष की राजनीति करने के बजाय हर एक की आकांक्षा और सम्मान की पूर्ति करने वाली पार्टी रही है, इसलिए चुनौती कांग्रेस को है। कांग्रेस ने इन इलाकों में न केवल जाति विशेष की राजनीति की है, बल्कि जातियों को लड़ाने का काम भी किया है।