मध्यप्रदेश/ खंडवा। आबना नदी के टापू पर बने मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हुआ था. इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था. मान्यताओं के अनुसार पांडव अज्ञातवास के समय यहीं पर रुके थे. यहां भीम ने गदा के प्रहार से पानी निकाला था. कथाओं के मुताबिक प्रहार से एक कुंड बन गया था। मंदिर के पास ही में एक शिव मंदिर भी है. माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भीम ने की थी. इसलिए इसे भीमकुंड मंदिर कहा जाता है. शहर में चार प्राचीन कुंड हैं. इनमें पदम कुंड, रामेश्वर कुंड, सूरज कुंड और भीम कुंड शामिल हैं. सभी का अपना- अपना महत्व है. लेकिन भीम कुंड पांच हजार साल पुराना है. मान्यताओं के अनुसार जब पांडव अज्ञातवास के समय यहां रुके थे, तो उन्हें प्यास लगी थी, तब भीम ने अपनी गदा से जमीन पर प्रहार किया था. जिससे यहां एक कुंड बन गया था. यह पूरे साल पानी से भरा रहता है। मंदिर के मंहत दुर्गानंद गिरी महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि पर यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. मंदिर का जीर्णोद्धार और पूजा-पाठ उनके गुरुजी श्री महंत बालयोगेश्वरा नंदगिरिजी महाराज किया करते थे. उन्होंने यहीं समाधि ले ली थी. साथ ही उन्होंने कहा कि चारों ओर नदी से घिरे होने से यहां बरसात के दिनों में आवागमन पूरी तरह बंद हो जाता है. श्रद्धालुओं को यहां आने में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन प्रशासन इस स्थान को विकसित करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है।