कटनी। (मध्यप्रदेश) किले के चारों ओर खाइयों में भरा पानी, दीवारों तक पहुंचना असंभव, न दिखने वाला दरवाजा, सात दरवाजे वाली बावड़ी, अंदर खजाना छुपे होने की कहानी आज भी विजयराघवगढ़ किले का रहस्य और रोमांच बरकरार रखे हुए है। इस किले का सीधा संबंध 1857 की क्रांति से भी है। इसे अंग्रेजों से जीवनभर लोहा लेने वाले विजयराघवगढ़ के राजा प्रयागदास ने बनवाया था। इसकी सुरक्षा ऐसी थी कि इसमें सेंध लगाने में शक्तिशाली अंग्रेज भी कई दशकों तक कामयाब नहीं हो पाए। लंबी लड़ाई के बाद वे इस पर कब्जा कर पाए।
भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास में कटनी की अपनी भूमिका रही है। इसमें विजयराघवगढ़ का प्रमुख स्थान है। विजयराघवगढ़ रियासत के राजा प्रयागदास के पुत्र ठाकुर सरजूप्रसाद ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लोहा लिया था। पिता-पुत्र अभेद्य विजयराघवगढ़ किले में रहा करते थे। सैकड़ों वर्षों बाद भी इस किले की कुछ विशेषताएं बरकरार हैं। यह किला सुरक्षात्मक बनावट, नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार किले का निर्माण सन् 1826 में शुरू हुआ था। पर्यटक इसकी बनावट देखकर चमत्कृत हो जाते हैं। किले में रंगमहल की सजावट अभी भी ताजातरीन बनी हुई है। नक्काशी में भरे हुए रंग अभी भी अपनी प्राकृतिक छटा बिखेर रहे हैं।
सरजूप्रसाद ने अंग्रेजों को दी थी कड़ी टक्कर-
1826 में मैहर के महाराज की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रयागदास को विजयराघवगढ़ की जागीर मिली। 29 फरवरी 1828 में प्रयागदास विजयराघवगढ़ के राजा बने। 1845 में राजा प्रयागदास की मृत्यु के पांच साल बाद सरजूप्रसाद उत्तराधिकारी बने। 1857 की क्रांति में 17 वर्ष की उम्र में सरजूप्रसाद ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। पुरातत्व विभाग के मुताबिक विजयराघवगढ़ के ठाकुर सरजूप्रसाद जबलपुर क्षेत्र में 1857 के प्रमुख शूरवीरों में से एक थे। अक्टूबर 1857 के अंत में उन्होंने विद्रोह छेड़ा। तहसीलदार सुबीत अली को मारकर डाक घोड़ों पर कब्जा कर विजयराघवगढ़ की ओर जाते हुए अंग्रेज टुकड़ियों को पराजित किया। कुछ झटकों के बाद अंग्रेजों और वफादार रीवा सैनिक दलों ने विजयराघवगढ़ पर आक्रमण किया एवं यह किला भीषण युद्ध का स्थल बना। सरजूप्रसाद वहां से निकल गए लेकिन विजयराघवगढ़ का किला जीत लिया गया।
किले में कई अनूठी चीजें देखने लायक-
वैसे तो पूरा विजयराघवगढ़ किला दर्शनीय है लेकिन इसमें कई हिस्से अनूठे हैं। इसमें विजय के प्रतीक राघव जी का भव्य मंदिर, रंगमहल की नक्कासी, रनिवास का आकार, गढ़ी के निर्माण की कलाकृति, दीवारों पर सुंदर नक्काशी देखने लायक है। इसके अलावा राजा सरजूप्रसाद का किला, किले के अंदर बनी बावड़ी, मुड़िया महल, स्मारक, शिलालेख दर्शनीय हैं।
ऐसी है किले की मजबूती-
किले के चारों तरफ गहरी खाइयां खुदी हुई हैं। इनमें हमेशा पानी भरा रहता है। बताया जाता है कि कभी इनमें खतरनाक जीव-जंतु रहते थे। किले के दरवाजे भी इस तरह से बनाए गए हैं जो बाहर से देखने पर आसानी से नजर नहीं आते हैं। दुश्मन पर तोप और बंदूक से निशाना लगाने के लिए दीवारों पर प्रत्येक कोण से वार करने के लिए छेद बनाए गए थे। बाहर शत्रुओं पर नजर रखने के लिए विशाल और ऊंचे कई बुर्ज भी बनाए गए थे।