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Wednesday, April 24, 2019

बाल विवाह को लेकर प्रशासन सतर्क, सामूहिक विवाह आयोजनों की होगी सख्त निगरानी

शिवपुरी (म.प्र.)। दहेज जैसी सामाजिक कुरीति के उन्मूलन तथा महंगे वैवाहिक खर्चो पर नियंत्रण में सामूहिक विवाह आयोजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।समाज के कमजोर एवं मध्यम वर्ग के परिवारों द्वारा अपने बेटे-बेटियों के विवाह इन सरकारी एवं गैर सरकारी सामूहिक आयोजनों में किये जानेे लगेे हैै, लेकिन सामूहिक आयोजनों में बाल विवाह होने की शिकायतें अक्सर प्रशासन को प्राप्त होती रहतीं है। आयोजकों द्वारा पंजीयन के समय उम्र के वैध प्रमाण नहीं लेना जिसका मुख्य कारण है।
बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा का कहना है कि सामूहिक विवाह आयोजकों को आयोजन से कम से कम एक सप्ताह पूर्व सम्बंधित एसडीएम से लिखित अनुमति लेना होगी।अनुमति के लिए प्रस्तुत आवेदन में आयोजन समिति को यह वचनपत्र देना होगा कि आयोजन में निर्धारित आयु पूर्ण कर चुके वर बधू का ही पंजीयन किया जाएगा। आयोजक वर-बधू के उम्र के मान्य दस्तावेज लेने के बाद ही पंजीयन करें। उम्र के प्रमाण में स्कूल का प्रमाणीकरण ,जन्म प्रमाणपत्र अथवा अंकसूची देना होगी। यदि वर बधू में से कोई अनपढ़ है तो सम्बंधित गांव के स्कूल के प्रधानअध्यापक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का प्रमाणीकरण प्रस्तुत करना होगा जिसमें यह स्पस्ट अंकित किया गया हो कि अमुक व्यक्ति अनपढ़ है एवं स्कूल नही गया है तभी चिकित्सा बोर्ड के प्रमाणपत्र मान्य होंगे।
मैरिज गार्डनों पर भी रहेगी नजर-
सामूहिक विवाह आयोजकों एवं मैरिज होम संचालकों को आयोजन स्थल पर द्रश्य भाग में 3म5 आकर का बाल विवाह निषेध का एक बोर्ड लगाना होगा । जिस पर यह स्पस्ट अंकित हो कि लड़की का 18 वर्ष एवं लड़के का 21वर्ष से पूर्ब विवाह दण्डऩीय अपराध है जिसके लिए 3 साल की जेल एबं 1 लाख रूपये जुर्माने का प्रावधान है।
बाल विवाह एक गंभीर सामाजिकबुराई है, हम सबको मिलकर इस बुराई को समूल नष्ट करना होगा। गांव में यदि कोई बाल विवाह होता है तो उस गांव के पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता ,स्कूल के प्रधानअध्यापक,पटवारी एवं ग्राम कोटबार को बाल विवाह का सहयोगी मानते हुए कार्यबाही की जायेगी।इस आशय के आदेश कलेक्टर अनुग्रहा पी द्वारा पूर्व में ही जारी किए जा चुके है।
 सामाजिक कार्यकर्ता जीतेश जैन का कहना है कि यह संभव नही कि गांव में होने बाले विवाह की सूचना लोगों को आयोजन से पूर्व न मिले। सूचना मिलते ही ग्राम स्तरीय अमला कलेक्टर के आदेश अनुसार वर-बधू की उम्र की जाँच करे। यदि बाल विवाह प्रमाणित हो तो परिजनों को विवाह न करने के लिये समझाया जावे, अगर सम्बंधित नही मानें तो पुलिस,चाइल्ड लाइन 1098 या महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें।
इनका कहना है-
बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों का अंत सामाजिक सहभागिता के बिना संभव नहीं है। समाज के जागरूक लोगों को आगे आकर इस बुराई की खिलाफत करने की आवश्यकता है। बाल विवाह को लेकर प्रशासन सतर्क है,सभी आयोजनों की निगरानी की जाएगी।
-ओपी पांडेय, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, शिवपुरी-