दिल्ली। आप जिस भी प्रदेश में रहें, वहां के किसी भी शहर में अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा सकेंगे। इसके लिए मूल निवास वाले शहर का एड्रेस प्रूफ देना होगा। अभी तक लोगों को दूसरे शहर में गाड़ी रजिस्टर्ड करवाने पर वहां के किसी परिचित का पता केयर ऑफ के रूप में देना पड़ता था और इसमें अतिरिक्त रुपए भी लगते थे। इस संशोधन से वाहन मालिकों पर निवास वाले शहर में ही गाड़ी खरीदने और लाइसेंस बनवाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी। मंगलवार काे ट्रांसपाेर्ट कमिश्नर ने प्रदेश में नए माेटर व्हीकल एक्ट 2019 के प्रावधानाें काे लागू करने संबंधी निर्देश जारी किए है।
ऐसे हैं नए प्रावधान:-
अपने ही राज्य में गाड़ी खरीदी है, तो वाहन डीलर ही उसके रजिस्ट्रेशन का आवेदन करेगा।
अब तक वाहन को रजिस्टर्ड करवाने के लिए संबंधित आरटीओ में वेरिफिकेशन होता था, लेकिन अब वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी। डीलर के आवेदन काे ही वेरिफिकेशन मान लिया जाएगा।
यदि कोई गाड़ी खरीदने के बाद खराब निकलती है ताे डीलर उसे वापस लेकर पैसे लाैटाएगा या उस मॉडल जैसी या उससे अपर मॉडल वाली गाड़ी खरीदार को देगा।
नियमाें के अनुरूप नहीं बनी काेर्इ गाड़ी यदि डीलर बेचता है ताे उसे एक साल जेल या एक लाख रु. जुर्माना भुगतना हाेगा।
एेसे ही यदि किसी वाहन कंपनी ने तय मानक पर गाड़ी नहीं बनाई ताे उसके जिम्मेदाराें काे एक साल जेल या 100 कराेड़ रु. तक का जुर्माना देना हाेगा।
यदि कोई वाहन मालिक अपनी गाड़ी में नियम विरुद्ध किसी किस्म का मोडिफिकेशन या परिवर्तन करता है, तो उस पर छह महीने का कारावास या पांच हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा।
यदि कोई रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी वाहन की निर्धारित चौड़ाई, लंबाई, ऊंचाई, लदान क्षमता संबंधी नियमों का उल्लंघन कर अथवा अनफिट वाहन का रजिस्ट्रेशन करती है तो उस पर पांच से दस हजार रुपए तक का जुर्माना हाेगा।
बगैर रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाया तो पांच गुना टैक्स:-
यदि कोई व्यक्ति वाहन को बगैर रजिस्ट्रेशन के चलाता है या उपयोग करता है, तो ऐसे गाड़ी मालिक पर उस वाहन का पांच गुना या लाइफ टाइम टैक्स का एक तिहाई या जो भी ज्यादा हो जुर्माना देना होगा। यदि वाहन डीलर बगैर रजिस्ट्रेशन करवाए कोई वाहन, खरीदार को देता है तो उस पर वार्षिक टैक्स का 15 गुना जुर्माना तक देना होगा। इतना ही नहीं डीलर यदि फर्जी दस्तावेजों अथवा चेसिस व इंजन नंबरों में हेरफर कर किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाता है तो उसे छह माह से एक साल तक का कारावास या वार्षिक टैक्स का 10 गुना या लाइफ टाइम टैक्स का दो तिहाई या जो ज्यादा हो वह भरना होगा।