भोपाल. मध्य प्रदेश की नई रेत खनन नीति को लेकर सियासी घमासान उठ खड़ा हुआ है. कमलनाथ सरकार ने नई नीति में खनन के अधिकार समूह में नीलाम करने के फैसले पर बीजेपी विरोध में उतर आई है, तो कांग्रेस इसे अवैध खनन को रोकने की कवायद बता रही है. सरकार की नई रेत नीति लागू होने से पहले ही विवादों में है और बीजेपी सरकार के नई नीति में लागू प्रावधानों का विरोध शुरू कर दिया है. बीजेपी के मुताबिक कांग्रेस सरकार ने नई रेत नीति में खदानों को बड़े समूह में नीलाम कर बड़े ब्लॉक में खनन की मंजूरी देने का प्रावधान किया है. इससे न सिर्फ रेत का अंधाधुंध खनन होगा, बल्कि नदियों से मशीनों से रेत निकालने पर उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा.
भाजपा ने कही ये बात:-
बीजेपी ने बंद खदानों के नाम पर शुरू की जाने वाली खदानों से रेत निकाले जाने के प्लान को फ्लॉप करार दिया है. पूर्व खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि नई नीति में बड़े ब्लॉक पर खनन की अनुमति से नदियों की सेहत बिगड़ेगी और सिर्फ कमाई के लिए रेत की अंधाधुंध खनन का बीजेपी विरोध करेगी.
प्रदेश की नई रेत नीति पर एक नजर:-
>>पंचायतों के पास रेत खनन के अधिकार होंगे.
>>खदानों को समूह में नीलाम किया जाएगा.
>>नई नीति में रेत खदानों को बड़े ब्लॉक में नीलाम किया जाएगा.
>>नर्मदा को छोड़ बाकी नदी में पोक लेन मशीनें का इस्तेमाल हो सकेगा.
>>बंद पड़े ब्लाक को भी सरकार नीलामी में शामिल करेगी.
>>रेत खदान वाले जिलों में बड़े ब्लॉक नीलाम होंगे.
>>400 नई खदानों समेत 1438 खदानें नीलाम होंगी.
>>सरकार का दावा बड़े ब्लॉक से सरकार की आय बढ़ेगी.
कमलनाथ के मंत्री ने किया ये दावा:-
प्रदेश के खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल का दावा है कि नई रेत नीति से बड़े ब्लॉक पर खनन होने से अवैध खनन पर अंकुश लगेगा और सरकार की आय बढ़ेगी. राज्य सरकार ने खाली खजाने को भरने के लिए खदानों का बड़े समूह बनाकर नीलाम करने का नीति में प्रावधान किया है. शुरुआत में खदानें दो साल के लिए दी जाएंगी और इसके बाद राशि में 20 फीसदी की वृद्धि होगी. सरकार ने कैबिनेट में रेत नीति को मंजूरी दे दी है और इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है,लेकिन बीजेपी की आपत्ति के बाद मामला सियासी हो गया है. अब सवाल ये है कि सरकार खजाना भरने के लिए बड़े पैमने पर होने वाले रेत खनन से क्या अवैध खनन पर वाकई रोक लग सकेगी या फिर नई नीति नदियों की सेहत के लिए हानिकारक साबित होगी.