इस्लामाबाद. पाकिस्तान के आर्थिक हालात तेजी से खराब हो रहे है और अब इस आर्थिक कमोजरी के बीच चीन ने भी पाकिस्तान से अपना हाथ खींच लिया है. दरअसल, चीन हमेशा से पाकिस्तान का बेस्ट फ्रेंड माना जाता रहा है, जो कि हर मुश्किल में उसके साथ खड़ा होता है. लेकिन चीन ने भी पाकिस्तान से अपने हाथ खीच लिए हैं. पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के जुलाई-अगस्त महीने में चीन से निवेश घट गया है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल FDI यानी विदेशी निवेश 57.8 फीसदी गिरकर 8.34 करोड़ डॉलर (करीब 592.14 करोड़ रुपये) पर आ गया है. वहीं, इससे पहले साल 2018 में 19.79 करोड़ डॉलर (करीब 1405.09 करोड़ रुपये ) था.
चीन तेजी से घटा रहा है पाकिस्तान में निवेश:- पाकिस्तान के सैंट्रल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने जुलाई-अगस्त में सिर्फ 2.89 करोड़ डॉलर (करीब 205.19 करोड़ रुपये) का निवेश किया है.
वहीं, साल 2018 में इस दौरान कुल 21.6 करोड़ डॉलर (करीब 1533.6 करोड़ रुपये) का निवेश किया था. वर्ल्ड बैंक से मदद मिलने से पहले चीन ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया था.
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बचाने के लिए इस साल मार्च में चीन ने उसे दो अरब डॉलर का कर्ज दिया था.
नहीं होगी कश्मीर मुद्दे पर बातचीत:-
कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने जाने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कश्मीर का मुद्दा लेकर कई जगह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जा चुके हैं.
लेकिन हर जगह पाकिस्तान को झटका लगा है. अब तो ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान के खास दोस्त चीन ने भी इस मुद्दे पर उसका साथ छोड़ दिया है.अगले कुछ दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक अनौपचारिक सम्मेलन में मिलने वाले हैं.
लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत नहीं होगी. चीन के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि ये पीएम मोदी और शी जिनपिंग पर निर्भर करेगा कि वो किन-किन मुद्दों पर चर्चा करने वाले हैं. बता दें कि दोनों नेता अगले महीने मिलने वाले हैं.
चीन ने पाकिस्तान में किया बड़ा निवेश:-
>> सीपीईसी परियोजना 2013 में शुरू हुई तो दोनों देशों के बीच आर्थिक कॉरिडोर बनाने पर हामी भरी.
>> साल 2014 में जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कई बार चीन का दौरा किया तो यह परियोजना जमीन पर आने लगी.
>> नवंबर 2014 में चीन सरकार ने ऐलान किया कि वो ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सीपीईसी के तहत 46 अरब डॉलर की वित्तीय मदद करेगी. सितंबर 2016 में चीन ने ऐलान किया कि सीपीईसी के लिए 51.6 अरब डॉलर का एक नया समझौता हुआ है.
>> नवंबर 2016 में सीपीईसी की कुछ योजनाएं शुरू हो गईं और चीन से ट्रक भरकर सामान पाकिस्तान के बंदरगाह ग्वादर पर आने लगे.
>> इसके बाद चीन ने फिर ऐलान किया कि वह अप्रैल में पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर का निवेश बढ़ाएगा. इसके बाद चीन लगातार पाकिस्तान को कर्ज के लिए हाथ आगे बढ़ाता रहा है.