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Saturday, September 28, 2019

पानी के लिए तरस रहे बुंदेलखंड का यह गांव बना मिसाल, पानी से हुआ लबालब, इजराइली वैज्ञानिक सीखने आए

नई दिल्ली। बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी गांव को नीति आयोग ने जल ग्राम का माॅडल घोषित किया है। इसी की तर्ज पर जल संकट से जूझ रहे देश के 1030 गांवाें काे जखनी जैसा जलग्राम बनाने की भी घाेषणा की गई है। कारण,यहां ग्रामीणाें ने खेत की मेड़-मेड़ पर पेड़ लगाकर गांव काे हरा भरा बना दिया है। इससे गांव पानी दार बना।अब तालाब और कुएं बारह महीने लबालब रहते हैं। खेत लहलहा रहे हैं और गांव का तापमान भी आसपास के इलाकाें के मुकाबले कम हाे गया है। इस तरह सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी गांव देशभर के लिए मिसाल बना है।
केंद्र सरकार के जल शक्ति सचिव यूपी सिंह ने कहा कि उनके लिए जखनी आना मक्का-मदीना की तरह है।जखनी ने जिस तरह खुद को बदला, उसका अध्ययन करने इजराइल के कृषि वैज्ञानिक, नेपाल के साथ ही तेलंगाना, देवास (मप्र), महाराष्ट्र और बांदा विश्वविद्यालय के छात्र आरहे हैं।
डॉ.कलाम ने तकनीक बताई थी:- 
जखनी काे पानीदार बनाने के नायक उमाशंकर पांडेय कहते हैं, वर्ष 2005 में दिल्ली में जल और ग्राम विकास को लेकर एक कार्यशाला हुई थी। उसमें तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने बिना पैसे और बिना तकनीक खेत पर मेड़ बनाने की बात कही थी। हमारे गांव में कोई किसान ऐसा नहीं कर रहा था। इसलिए मैंने फावड़े से अपने पांच एकड़ खेत की मेड़ बनाई और पानी को रोका। नवंबर में धान, दिसंबर में गेहूं और अप्रैल में दाल-सब्जी की फसलें लीं। पहले पांच किसानों ने अनुसरण किया, फिर 20 किसान आगे आए।
खेतों में बनाए छोटे कुएं, पांच फीट पर मिल रहा पानी:-
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित छठे भारत जल सप्ताह में आए उमाशंकर ने गुरुवार को बताया कि मेड़ बनाने से आठ महीने खेत में पानी रहता है। बाकी चार महीने नमी बनी रहती है। मिट‌्टी की उर्वरक शक्तियां, खनिज-लवण बहने से बच जाते हैं। इससे भूजल स्तर बढ़ा और किसान मनपसंद फसल ले पाए। गांव के कुओं में पांच फीट पर ही पानी मिल रहा है। सूखे के चलते शहर पलायन कर गए 2000 युवा गांव लौट आए हैं।