नई दिल्ली। हाई कोर्ट में एक ऐसे कैदी की फरलो (सजा से छुट्टी का प्रावधान) का मामला सामने आया है, जिसकी जेल से रिहाई के आड़े कोई और नहीं, खुद उसकी पत्नी खड़ी है। इस कैदी की पत्नी नहीं चाहती कि वह हिरासत से बाहर निकले। पत्नी की वजह से ही जेल अथॉरिटीज उसका वह आवेदन मंजूर नहीं कर रही, जिसमें वह फरलो के तहत जेल से तीन हफ्ते की छुट्टी मांग रहा है।
पत्नी के इस विरोध की वजह का खुलासा तब हुआ जब जेल अथॉरिटीज ने हाई कोर्ट में इस कैदी की मांग के संबंध में अपनी स्टेटस रिपोर्ट दी। कैदी का नाम ऋषिपाल है और उसकी ओर से एडवोकेट सुनील शर्मा ने कोर्ट में यह याचिका दायर की है। इसमें मांग यही है कि जेल अथॉरिटीज को उसे तीन हफ्तों के लिए फरलो पर छोड़े जाने का निर्देश दिया जाए। उसके आवेदन को ठुकराए जाने की वजह बताते हुए अथॉरिटीज ने कोर्ट में कहा कि ऋषिपाल की पत्नी ने उसकी इस मांग का विरोध किया है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी ने शिकायत की है कि जब भी वह जेल से छूट कर आता है, उन्हें और उनके दो बच्चों को मारता-पीटता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि यदि उसे फरलो पर जेल से कुछ वक्त की छुट्टी दी जाती है तो वह उस दौरान अपने पत्नी-बच्चों से अलग कहीं और रहने के लिए तैयार है। यानी कैदी से सलाह-मशविरे के बाद वकील ने कोर्ट में कहा कि वह उस दौरान अपने भाई के साथ रहेगा।
उसके इस विकल्प से हालांकि जस्टिस विभू बाखरू संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा कि बताया गया है कि याचिकाकर्ता का भाई उसी परिसर में रहता है, जहां उसकी पत्नी और बच्चे रह रहे हैं। इससे फरलो पर जेल से छुट्टी के लिए बीवी-बच्चों से अलग रहने की शर्त पूरी नहीं होती। जब बात बनती न दिखी तो कैदी के वकील ने कोर्ट से कहा कि उन्हें कुछ वक्त दिया जाए जिससे अन्य किसी और वैकल्पिक जगह की व्यवस्था करके कोर्ट को उसकी जानकारी दी जा सके। कोर्ट ने वकील की यह मांग मंजूर कर ली और मामले में अगली सुनवाई के लिए 5 नवंबर की तारीख तय कर दी।