नई दिल्ली. प्याज की कीमतों में तेजी का आलम यह हो गया है कि अब यह आम आदमी के बजट को बिगाड़ने लगा है. देश के अलग-अलग राज्यों में आवक कम होने से प्याज की कीमतों में लगातार तेजी जारी है. पंजाब में प्याज के दाम सेब से भी ज्यादा हो गए हैं. यहां सीजनल सेब की कीमत औसतन 60 रुपये प्रति किलोग्राम होती है. प्याज भी 60 रुपये से 70 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गया है. भारत में सेब व्यापार के लिए हब माना जाने वाले शिमला में सेब की कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम और प्याज की कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम है.
क्या हैं प्याज की कीमतों में तेजी के कारण:-
मार्केट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी कंवरपाल सिंह दुआ ने NEWS 18 इंग्लिश को बताया कि प्याज के आवक की कमी होने का सबसे बड़ा कारण दक्षिण भारत और मध्य प्रदेश में जोरदार बारिश है. उन्होंने कहा, 'भारी बारिश और नमी के कारण मध्यम प्रदेश में प्याज की स्टॉकिंग जरूरी स्तर तक नहीं पूरी हुई. दक्षिण भारत में भारी बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो चुकी है. नासिक क्षेत्र जो सबसे बेहतर क्वालिटी के प्याज के लिए जाना जाता है, वहां पर बारिश की वजह से प्याज की फसल करीब दो सप्ताह की देरी से लगी. पहले हमें यह प्याज की यह फसल दिवाली से पहले मिलती थी, लेकिन अब यह फसल दिवाली के बाद या फिर उसके ठीक बाद तक मिल सकेगी. इसमें करीब एक माह की देरी होगी.
अफगानिस्तान और इजिप्ट से प्याज आयात करेगी सरकार:-
हालांकि, केंद्र सरकार प्याज की आवक की कमी से निपटने की तैयारी कर रही है. सरकार अब प्याज का आयात कर रही है. इसी सिलसिले में सरकार पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से प्याज आयात कर रही है. आने वाले कुछ दिन में यह स्टॉक भारत में आ जाएगा. Egypt से भारत में प्याज आयात किया जाएगा जोकि 15 अक्टूबर तक यहां पहुंच जाएगा. बताते चलें कि अंतिम बार प्याज की कीमतों में इतनी तेजी साल 2015 में दर्ज की गई थी. उस दौरान बाढ़ से फसल बर्बाद होने के बाद प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई थीं.
अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह तक मिल सकती है राहत:-
अग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक रिपोर्ट में खुदरा दकानदारों से बात करने के बाद लिखा था कि प्याज उत्पादन करने वाले राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति की वजह से प्याज की कीमतों में इतनी तेजी देखने को मिल रही. भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से उत्तर भारत में प्याज की नई फसल की सप्लाई नहीं हो पा रही है.
सरकार अब प्याज का आयात कर रही है:-
इस रिपोर्ट में एक खुदरा प्याज विक्रेता के हवाले से लिखा गया है कि केरल, कनार्टक, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ राज्यों में भारी बारिश की वजह से प्याज की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है. बाजार में बेहतर क्वालिटी वाले प्याज की कमी होने के बाद आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है. इस विक्रेता का कहना है कि अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह तक प्याज की कीमतों में तेजी जारी रहेगी.
स्टॉक होल्ड करने से भी प्याज की कीमतों में तेजी
एक अन्य विक्रेता ने कहा कि कई किसान आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार देखते हुए प्याज के स्टॉक को बाजार में नहीं ला रहे हैं. हर साल यही हाल रहता है. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए प्याज के स्टॉक को होल्ड किया जाता है और जब भाव बढ़ जाता है तो इसका फायदा उठाया जाता है.
सरकार ने प्याज के निर्यात पर निर्धारित किया था MEP:-
प्याज के भाव को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह ही न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया था. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया था ताकि घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई में कमी नहीं आए. इसके लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अधिसूचना जारी की थी।