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Tuesday, October 1, 2019

आपको पता है:- अघोरी साधुओं के ऐसे डार्क सीक्रेट्स, जो कानूनी तौर पर जुर्म हैं

भोपाल। अघोरी साधु (Aghori Babas) अपनी जीवनशैली और अपने तौर तरीकों को लेकर चर्चा में रहते हैं. अघोरियों की दुनिया में कई चौंकाने वाली बातें हैं. अघोरियों की इस दुनिया की कुछ ऐसे कार्यकलाप हैं जिन्हें कानूनी तौर पर वैध नहीं ठहराया जाता, हालांकि यह होता ज़रूर है.
श्मशान में सेक्स:-
अघोरी (aghori miracle) लड़कियों और औरतों के साथ, उनकी मर्ज़ी से शारीरिक संबंध बनाते हैं. अपनी मान्यताओं के हिसाब से अघोरी साधु श्मशानों में लाशों के ऊपर ये क्रिया करते हैं और उनका कहना होता है कि यह किसी किस्म के आनंद या मज़े के लिए नहीं बल्कि भाव समाधि के उद्देश्य से किया जाता है. अघोरियों का यह कार्यकलाप अक्सर चर्चा और कई तरह की बहसों में रहा है.
कैनिबलिज़्म यानी नरभक्षण:-
अघोरियों के विश्वास के अनुसार उनका भोजन केवल लाश होता है. वो जीवित का भोजन नहीं करते. इसलिए श्मशानों में मरे हुए मनुष्यों को वो अपना भोजन बनाते हैं. एक और मान्यता के हिसाब से अघोरी अपने भोजन को पका नहीं सकते हैं इसलिए वो ये मांस या तो कच्चा खाते हैं या सिर्फ आग यानी चिता में जला हुआ.
गांजा और चिलम:- 
अघोरियों का शौक नहीं बल्कि पहचान है गांजे का सेवन करना. चिलम के ज़रिये अघोरी साधु गांजा पीते हैं. अघोरी पंथ का कहना है कि गांजा पीना उनके लिए नशा करना नहीं होता है बल्कि यह भाव समाधि में पहुंचने का रास्ता होता है जिसके ज़रिये वो अलौकिक दुनिया में पहुंचते हैं और ध्यान की अवस्था को हासिल करते हैं. कुंभ मेलों में इन साधुओं को सार्वजनिक तौर पर गांजे का सेवन करते हुए देखा जाता है.
कानूनी पेंच 1:- खुले में यानी सार्वजनिक स्थानों पर सेक्स करना भारत के कानून के हिसाब से अपराध है. आईपीसी की धारा 294 ए के मुताबिक : 'सार्वजनिक स्थान पर कोई भी अगर अश्लीलता करता है तो उसे तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों सज़ाएं दी जा सकती हैं.' वैसे भी भारत के ज़्यादातर इलाकों में आप खुले में होंठों पर किस तक नहीं कर सकते क्योंकि इसे कानूनी तौर पर अश्लीलता और सामाजिक तौर पर अपराध माना जाता है.
कानूनी पेंच 2:- कैनिबलिज़्म या नरभक्षण भारत के कानून के हिसाब से वैध नहीं है. हालांकि इसके लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है लेकिन कई पहलुओं के चलते इस वैध नहीं माना गया है. देश के ज़्यादातर इलाकों में यह अवैध है. इसे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सिलसिले में समझा जाता है. यह वैध न होने के बावजूद अघोरियों को बनारस के घाटों पर यह प्रैक्टिस करते हुए देखा जा सकता है.
कानूनी पेंच 3:- गांजा भारत में नशीला पदार्थ माना जाता है और इसकी सार्वजनिक खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के मुताबिक एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20 के तहत गांजे की खरीद फरोख्त को अवैध करार दिया गया है और अलग-अलग मात्रा के हिसाब से सज़ा का प्रावधान है. कमर्शियल क्वांटीटी यानी 20 किलो से ज़्यादा की खरीदी बिक्री के मामले में 20 साल कैद तक की सज़ा हो सकती है. हालांकि अघोरी आम तौर से गांजे का इस्तेमाल कम मात्रा में करते हैं लेकिन यह भी कानूनन वैध नहीं है.