भोपाल. मध्य प्रदेश के हाई-प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले के खुलासे के बाद जिस तेजी से जांच शुरू हुई थी, अब उसकी चाल कछुआ की तरह हो गई है. जी हां, बदनामी के डर की वजह से जांच की रफ्तार धीमी होना बताया जा रहा है. जबकि धीमी रफ्तार को लेकर अब कई सवाल भी उठने लगे हैं. आपको बता दें कि हनी ट्रैप केस में गिरफ्तार हुई पांच महिलाओं से पूछताछ में कई सनसनीखेज जानकारियां जांच एजेंसी के हाथ लगी थीं. फिलहाल इस केस की जांच एसआईटी कर रही है.
एसआईटी जांच के बाद हुआ ऐसा:-
सूत्रों के अनुसार, हनी ट्रैप के घेरे में कई बड़े नेता, आईपीएस, आईएएस, बिल्डर, कारोबारी और व्यापारी आ गए थे. पुलिस मुख्यालय द्वारा गठित दो एसआईटी की जांच तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही सरकार के स्तर पर एसआईटी का गठन हुआ, वैसे ही जांच कछुआ चाल में तब्दील हो गई. अब इस जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि हनी ट्रैप में कई बड़े लोग फंसे हुए हैं.
हनी ट्रैप की जांच पर ब्रेक:-
>>17 सितंबर इंदौर पुलिस ने एटीएस और इंटेलिजेंस के साथ मिलकर इंदौर से दो महिला, एक पुरुष और भोपाल से तीन महिला को गिरफ्तार किया. इस गैंग ने कई बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों को हनी ट्रैप में फंसाकर ब्लैकमेल किया था.
>>23 सितंबर को पहली बार एसआईटी का गठन किया. आईजी सीआईडी डी श्रीनिवास वर्मा को एसआईटी की कमान सौंपी गई.
>>24 सितंबर को एसआईटी चीफ वर्मा ने जांच करने से इंकार कर दिया. शाम तक नई एसआईटी का गठन किया गया, जिसके चीफ एटीएस एडीजी संजीव शमी को बनाया गया.
>>02 अक्टूबर को एसआईटी चीफ संजीव शमी को हटाकर पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल कर नई एसआईटी का गठन किया गया. तीसरी बार बनी एसआईटी की जिम्मेदारी डीजी रैंक के अधिकारी राजेंद्र कुमार को दी गई.
>>एसआईटी ने पुलिस रिमांड लेकर पांचों महिलाओं के साथ एक पुरुष आरोपी से लंबी पूछताछ की. उनके घरों पर दबिश देकर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, सरकारी दस्तावेज, सील समेत कई महत्वपूर्ण सबूतों को जुटाया गया.
>>एसआईटी के पास केस से जुड़ी तमाम जानकारियां हैं. सभी आरोपी जेल में बंद हैं. अब जांच की रफ्तार धीमी गति से चल रही है. कोई नई गिरफ्तारी और खुलासे नहीं हुए हैं.
बदनामी का डर:-
सूत्रों की माने तो बदनामी के डर से जांच की रफ्तार धीमी हुई है. ये बदनामी बड़े लोगों से जुड़ी है. अब सवाल यह भी उठने लगा है कि जांच एजेंसी हनी ट्रैप के इस हाई-प्रोफाइल केस को दबाने में जुटी गई है या फिर किसी को बचाने के लिए जांच की रफ्तार कछुआ चाल की तरह कर दी है. प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि हनी ट्रैप की जांच वरिष्ठ अधिकारी से कराई जा रही है. पहले जो जांच हुई थी, उसकी जानकारी लगातार मीडिया में लीक हो रही थी, लेकिन अब कोई भी जानकारी लीक नहीं हो रही है. जांच सही दिशा में जा रही है और कोई भी दोषी एसआईटी के शिकंजे से नहीं बच सकेगा.