रायपुर. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने आरक्षण को लेकर एक नया फैसला लिया है. अब प्रमोशन में भी आरक्षण देने का फैसला सरकार ने किया है. बकायद रिजर्वेशन को लेकर सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. बता दें कि इस आदेश के मुताबिक अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण देना तय कर दिया गया है. मालूम हो कि सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 में संशोघन किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. वहीं ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा. हाईकोर्ट ने ओबीसी के आरक्षण को स्वीकार नहीं किया है. इस फैसले के बाद SC-ST वर्ग को नए नियम के हिसाब से आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. नए आदेश के मुताबिक प्रथम से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक आरक्षण दिया जाएगा.
नए आदेश के मुताबिक:-
मालूम हो कि शासन ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम में संशोधन की अधिसूचना और पदोन्नति में आरक्षण के लिए रोस्टर जारी कर दिया गया है. इससे शासकीय सेवकों की फरवरी 2019 से रूकी हुई पदोन्नति की प्रक्रिया को एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. अधिसूचना के मुताबिक पदोन्नति में अब अनुसूचित जाति के शासकीय सेवकों को 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के शासकीय सेवकों को 32 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विभिन्न विभागों को इस संबंध में एक सर्कुलर भी जारी किया जा रहा है. संशोधित पदोन्नति नियम के अनुसार राज्य शासन के चतुर्थ श्रेणी से लेकर प्रथम श्रेणी तक के शासकीय सेवकों को पदोन्नति का लाभ अब मिलेगा. अधिसूचना के मुताबिक पदोन्नति में अब अनुसूचित जाति के शासकीय सेवकों को 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के शासकीय सेवकों को 32 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा.
पहले भी दिया जा चुका है ऐसा फैसला:-
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग को बड़ा तोहफा दिया था. प्रदेश में ओबीसी (OBC) वर्ग को पहले 14 फीसदी आरक्षण मिलता था, जिसे 13 फीसदी और बढ़ा दिया गया था. इससे अब छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया. इससे पहले भी अनुसूचित जाति (SC) वर्ग का आरक्षण 12 से बढ़ाकर 13 फीसदी कर दी गई थी. कुल मिलाकर अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था.
हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक:-
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने ये आदेश जारी किया था. बता दें कि राज्य में बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ चार लोगों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जबकि समर्थन में एक याचिका लगी थी. आरक्षण के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने ये फैसला दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले से छत्तीसगढ़ सरकार को झटका लगा था. बता दें कि सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में इसका प्रतिशत 82 फीसदी हो गया था. इसके विरोध में याचिका लगाई गई थी. संविधान के मुताबिक, माइनौरिटी ऑफ सीट पर ही आरक्षण की पॉलिसी लागू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं किया जा सकता.