इंदौर. अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाली प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने हनी ट्रैप मामले में अजीबोगरीब बयान दिया. सच कहा जाए तो वे एक तरह से पुरुषों का समर्थन करती नजर आईं. इंदौर (Indore) पहुंची महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में महिलाओं की गलती होती है और पुरुषों को दोषी मान लिया जाता है. मैं ऐसी महिलाओं की तरफदारी नहीं करती. इस मामले में पुरुषों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, बल्कि महिलाओं के खिलाफ ही कार्रवाई की जानी चाहिए. हनी ट्रैप मामले में नामों के खुलासे पर भी उन्होंने कहा कि आपको दिनभर बहुत सारे नेता मिलते हैं, लिहाजा आप उन्हीं से नाम पूछ लेना. मैं और इस मामले में क्या कहूं?
बयान पर दी सफाई:-
अभी कुछ दिन पहले महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा था कि डॉक्टर्स के ट्रांसफर में पैसे लगते हैं इसलिए उनका ट्रांसफर न कराकर सस्पेंड कर देते हैं. आज उसी बयान पर सफाई देते हुए मंत्री ने कहा कि मैंने सही कहा था कि ट्रांसफर में पैसे लगते हैं क्योंकि सरकार को कर्मचारियों के ट्रांसफर में टीए डीए देना पड़ता है. उनके सामान को भिजवाने में ट्रक का खर्चा देना पड़ा है. इसलिए यह बात मैंने बात कही थी और उसमें कुछ गलत भी नहीं था, लेकिन मीडिया में मेरा बयान को कांट छांट कर चलाया गया था.
साथ ही उन्होंने कहा कि इससे पहले शौचालय वाला बयान जिसमें मैंने कहा था कि घर में भी पार्टीशन करके लेट्रिन बनाई जाती है. घर में भी खाना बनता है, तो स्कूलों में भी पार्टीशन कर खाना बनाना क्या गलत है. इसको लेकर भी मीडिया ने चला दिया कि इमरती देवी ने कहा कि लेट्रिन में खाना बनना चाहिए. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जिसे जो दिखाना हो दिखा ले, हम तो चलेंगे चाहे उलटे चलें या सीधे चलें.
पोषण पुनर्वास केन्द्र का किया औचक निरीक्षण:-
महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने रविवार की छुट्टी के दिन पोषण पुनर्वास केन्द्र बाणगंगा का आकस्मिक निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा निर्देश दिये. उन्होंने स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा करते हुये कहा कि प्रदेश में कुपोषण मिटाने के लिये विशेष प्रयास जरूरी हैं. इस अभियान में स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग को संयुक्त रूप से मुहिम चलाना होगी. इस मुहिम को हमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में घर-घर तक ले जाना होगा. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिये कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भेजा जाना जरूरी है. इस मुहिम में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने कहा कि पोषण पुनर्वास केन्द्र से बाहर निकले बच्चों को फॉलोअप भी जरूरी है, क्योंकि कुपोषण एक मानवीय और सामाजिक समस्या है, जिसका हम सब मिलकर निदान कर सकते हैं.