ग्वालियर/(मध्यप्रदेश)। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का फैसला सुना दिया है। 5 जजों की संविधान पीठ ने सुबह सर्वसम्मति से अपना फैसला दिया। इस फैसले का देश-प्रदेश सहित ग्वालियर चंबल संभाग के हर वर्ग ने स्वागत किया। फैसले को लेकर दो दिन पहले ही संभाग में हाईअलर्ट घोषित किया जा चुका है। लेकिन अयोध्या मामले में जुडा एक ऐसा किस्सा हम आपको बताने वाले हैं जिसके बारे में आपने अब तक नहीं सुना होगा।
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में लखनऊ की सीबीआई अदालत में ग्वालियर के फायर ब्रांड नेता जयभान सिंह पवैया के खिलाफ अभी मुकदमा चल रहा है। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद जिन सात प्रमुख नेताओं को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था उनमें शामिल पवैया के उस समय माधौगंज स्थित निवास पर सीबीआई ने छापामारी की थी, लेकिन सीबीआई को उनके घर से उनकी एक डायरी और उनके भाषणों की कैसेटें मिली थीं।
इस मामले में एक अन्य आरोपी रही राजमाता विजयाराजे सिंधिया का निधन हो चुका है। बाबरी विध्वंस के बाद सीबीआई ने भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, गिर्राज किशोर, विनय कटियार, शिवसेना सांसद सतीश प्रधान एवं जयभान सिंह पवैया को गिरफ्तार कर लिया गया था। सभी को माताटीला में मुनार जेल में रखा गया था।
ये नेता 7 दिसंबर 1993 से 13 दिन तक बंद रहे थे। इन नेताओं ने जमानत लेने से इंकार कर दिया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने दिल्ली में सभी नेताओं की रिहाई के लिए उपवास भी किया था। बाद में सभी को 20 दिसंबर को रिहा कर दिया गया था।
चीनौर में भी मारा था छापा:-
बाबरी विध्वंस के बाद कुल 36 लोग आरोपी बनाए गए थे। मध्यप्रदेश से इनमे राजमाता विजयाराजे सिंधिया के अलावा जयभान सिंह पवैया एवं उमा भारती थीं। पवैया जब बुरहानपुर में सभा ले रहे थे तब उस समय सीबीआई टीम ग्वालियर उनके निवास पर पुलिस बल के साथ पहुंची थी और उसने चीनौर में भी छापा मारा था। पांच घंटे की तलाशी में उसे केवल डायरी मिली थी। जबकि वह ढांचे के अवशेष ढूंढने के लिए आई थी।
जय-पराजय का फैसला नहीं:-
पूर्व अध्यक्ष बजरंग दल एवं पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला किसी की जय-पराजय का फैसला नहीं है। यह देश की आस्था की विजय है।