इंदौर (मध्यप्रदेश)। रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों से खराब हो रही पुलिस विभाग की छवि सुधारने के लिए आला अफसरों ने अब रिश्वतखोरी के तरीकों पर निगरानी रखना शुरू कर दी है। एसएसपी बदनाम पुलिसवालों की संपत्ति की गोपनीय जांच करवा रही हैं। एसपी ने मातहतों के पकड़ाने पर थाना प्रभारी को जिम्मेदार ठहराने का फरमान जारी किया है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में थाना प्रभारी लेनदेन में माहिर पुलिसवालों को आगे कर देते हैं। एसपी (पश्चिम) अवधेश गोस्वामी के मुताबिक, हाल ही में लोकायुक्त ने सिमरोल थाने में पदस्थ सिपाही विजेंद्र धाकड़ और सैनिक दीपक पटेल को गिरफ्तार किया था। लोकायुक्त ने जांच में थाना प्रभारी आरके नैन को भी दोषी पाया और आरोपित बना दिया। इसके बाद मानपुर में छापा मारा और सिपाही राजीव कुमार को रिश्वत लेते पकड़ लिया।
गुस्साए एसपी ने जिले के सभी थाना प्रभारियों को एक पत्र जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर मातहत रिश्वत लेते पकड़ा गया तो थाना प्रभारी भी जिम्मेदार होंगे। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने बैठक में सामूहिक रूप से बदनाम थाना प्रभारी को फटकार भी लगाई और कहा कि वसूली के 15 तरीकों पर नजर है। शिकायत मिली तो लोकायुक्त के पहले वे खुद कार्रवाई करेंगे।
वसूली के ये 15 'पुलिसिया' तरीके:-
- धोखाधड़ी के ज्यादातर मामले दर्ज करने में आवेदक और अनावेदक दोनों से रुपए लिए जाते हैं। सौदा तय कर विवादित प्लॉट, मकान के मामलों में आवेदन लेकर वसूली की जाती है।
- ब्याज और लेनदेन के मामले भी रिश्वत तय कर निपटाए जाते हैं।
- वाहन चोरी में खात्मा, पासपोर्ट सत्यापन और चोरी के माल की जब्ती भी बगैर लेनदेन के नहीं होती है।
- अवैध बोरिंग, स्पा सेंटर और पब, बार, शराब की दुकानों से मासिक बंदी बंधी रहती है।
- अवैध शराब और जुए के अड्डों से भी लेनदेन होता।
- रेत और जानवरों से भरे ट्रक छोड़ने पर रुपए का लेनदेन होता है।
- वाहन चेकिंग, धाराएं घटाने व बढ़ाने और चालान पेश करने के लिए भी रुपए देने पड़ते हैं।
लोकायुक्त के शिकंजे में फंसते-फंसते बचे थाना प्रभारी:-
शिप्रा थाने से हटाए प्रभारी मोहनसिंह जाट 10 दिन पूर्व लोकायुक्त में फंसते-फंसते बच गए। थाने के सिपाहियों ने जानवरों से भरी गाड़ी पकड़ ली और रुपए मांगने लगे। पीड़ित ने लोकायुक्त को शिकायत कर दी। एक डीएसपी ने जाल भी बिछा दिया। लेकिन इसके पूर्व अफसरों को भनक लग गई और थाना प्रभारी को अलर्ट कर दिया। इसके बाद भी थाना प्रभारी नहीं सुधरे और एक व्यापारी से लेनदेन एक बेगुनाह को अवैध रूप से हिरासत में ले लिया। नाराज अफसरों ने उन्हें लाइन अटैच कर दिया।
एसएसपी ने बैठाई सिपाहियों की संपत्ति पर जांच:-
एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र लसूड़िया, तिलक नगर, विजय नगर, एमआईजी थानों के बदनाम सिपाहियों की संपत्ति की गोपनीय जांच करवा रही हैं। कुछ सिपाहियों को तो लेनदेन के आरोप में लाइन अटैच भी कर चुकी हैं। आरआई जयसिंह तोमर ने संपत्ति का ब्योरा मांगने के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम और रजिस्ट्रार सहित आरटीओ को पत्र जारी किए हैं। बताया जाता है जिन सिपाहियों की जांच हो रही है, उन्होंने बयानों में पैतृक संपत्ति होना बताया है।
कागज-कार्बन और खाने के रुपए भी नहीं छोड़ती पुलिस:-
तत्कालीन डीजीपी ऋषिकुमार शुक्ला ने थानों में लेनदेन की शिकायत मिलने पर आदेश भी जारी किए थे। डीजीपी ने कहा था कि पुलिसकर्मी फरियादी से कागज-कार्बन के नाम पर रुपए मांग लेते हैं। कई पुलिसकर्मी आरोपित को ढूंढने के लिए फरियादी से गाड़ी का किराया और खाने के रुपए लेते हैं।