भोपाल. भाजपा विधायक प्रहलाद जोशी को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की सजा पर रोक लगा दी है। कोर्ट के फैसले के अनुसार सात जनवरी तक विधायक की सजा पर रोक रहेगी। कहा जा रहा है कि इस मामले में कोर्ट सात जनवरी तक अपना फैसला सुना सकती है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब प्रहलाद सिंह लोधी मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य कहलाएंगे।
क्या विधायक बने रहेंगे:-
विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायक को दो साल की सजा का एलान होने के बाद पन्ना जिले की पवई सीट को रिक्त करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। हाईकोर्ट ने सजा में रोक लगा दी है जिस कारण से वो मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे।
क्य़ा कहा राकेश सिंह ने:-
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा- सरकार ने आनन-फानन में विधायक की सदस्यता खत्म की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने बिना राज्यपाल की अनुमति के फैसला लिया था। ये कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के कारण हुई है।
विधायकों की संख्या बढ़ी:-
मध्यप्रदेश विधानसबा चुनाव में भाजपा को 109 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन झाबुआ उपचुनाव में हार के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 108 रह गई थी। 2 नवंबर को प्रहलाद सिंह लोधी की सदस्यता खत्म करने के बाद भाजपा के 107 विधायक हो गए थे लेकिन अब हाईकोर्ट की रोक के बाध भाजपा के विधायकों की संख्या 108 हो गई है।
कांग्रेस को बड़ा झटका:-
हाईकोर्ट से विधायक की सजा पर स्टे मिलने के बाद जहां भाजपा को बड़ी राहत मिली है वहीं, कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इस मामले में सीएम कमल नाथ ने कहा था कि भाजपा के 15 सालों के जो काम हैं वो अब हर हफ्ते और महीने सामने आएंगे। हालांकि राजनीतिक जानकार हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इसे कांग्रेस को एक बड़ा झटका बता रहे हैं।
किस मामले में हुई थी विधायक को सजा:-
भाजपा विधायक प्रहलाद सिंह लोधी समेत 12 लोगों पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर मारपीट करते हुए बलवा किया था। मामला 28 अगस्त 2014 को सिमरिया थाना अंतर्गत का था।
2 नवंबर को खत्म की गई थी सदस्यता:-
2 नवंबर को विधानसभा सदस्य प्रहलाद सिंह लोधी की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया। लोधी के खिलाफ एक आपराधिक मामले में भोपाल की विशेष अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी थी।
किस नियम के कारण गई सदस्यता:-
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।