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Thursday, November 21, 2019

संसद हमले और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को पछाडऩे वाला नायब सूबेदार अफसरों से हारा ‘जंग’

इंदौर/ कारगिल युद्ध में दुश्मनों को पछाडऩे वाले नायब सूबेदार को राजस्व अधिकारियों से हार गया। अपनी कृषि भूमि को बचाने के लिए कई सालों से प्रशासन और कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर है। इसके बाद भी उसको न्याय नहीं मिल रहा है। दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले फौजी की सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।
कलेक्टोरेट में जनसुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त सैनिक कृष्णगोपाल सिंघवीं ने अधिकारियों को बताया वह ग्रम रंगवासा राऊ का स्थाई निवासी है। उसकी पैतृक सिंचित जमीन 334 व 337 कुल रकबा 940 हेक्टेयर रंगवासा में है। जिस पर सालों से खेती कर रहा है। गांव के ही बाबूलाल पिता मुकुंदराम व रवि पिता राजेंद्र चौधरी ग्राम रंगवासा द्वारा तत्कालीन पटवारी श्वेता कटियार एवं अन्य राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर पड़ोसी किसान व कॉलोनाइजर को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से षडय़ंत्र कर लाखों रुपए का लेनदेन कर पटवारी से सर्वें नंबर 334में अपनी मनमर्जी से रास्ते संबंधी लाइन बिना कोई शासकीय अनुमति या आदेश के फर्जी तरीके से डाली गई है। जबकि वर्तमान पटवारी नक्शे व पूर्व नक्शे जो पूर्व प्रकरण में उच्च न्यायालय में मेरे द्वारा प्रस्तुत किए गए थे उसमें कुछ भी नहीं है। वर्तमान पटवारी श्वेता कटियार व राजस्व आधिकारी राकेश पगारे ने कूटरचित दस्तावेज रचे हैं।
राजस्व मंडल के आदेश को नहीं माना:-
राजस्व मंडल और एसडीओ के आदेश तक का पालन अधिकारी नहीं कर रहे हैं। तहसलीदार ने सांठगांठ कर अपने आदेश में सरकारी मार्ग बताते हुए निर्णय दिया है। जबकि मेरी जमीन पर से कोई रास्ता नहीं है। नायब सूबेदार के रूप में जम्मू-कश्मीर सीमा, संसद पर हमला और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को मारने वाले अब अपनी जमीन के लिए अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने को मजबूर हैं। आज भी जमीन पर फसल खड़ी हुई है और झूठी जानकारी अधिकारियों द्वारा दी जा रही है।