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Monday, December 16, 2019

कमलनाथ की माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा से बेवा को बंधी न्याय की आस, पति की मौत की सीबीआई जांच की मांग

-अनु राधा शिवहरे का आरोप पति बन सकता था सरकारी गवाह इसलिए धीमा जहर देकर रास्ते से हटा दिया।   

मुकेश शर्मा (ग्वालियर) म.प्र. के मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की घोषणा से मुरैना की एक बेवा अनुराधा शिवहरे को न्याय की आस बंधी है। करीब 2 वर्ष पूर्व अपने पति पंकज शिवहरे की संदेहास्पद मौत के बाद ससुराल जनों की प्रताडऩा से तंग आ चुकी अनुराधा शिवहरे ने आज एक पत्रकार वार्ता में पुलिस प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए अपने पति की मौत की सीबीआई जांच की मांग की।  
उन्होंने बताया कि वे अपने पति स्वर्गीय पंकज शिवहरे की मृत्यु के बाद हो रही घटनाओं की जानकारी पिछले डेढ़ माह से निरंतर पुलिस प्रशासन को दे रही हूॅ। लेकिन उसके आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत गत 2 दिसम्बर को मेरे वकील अमित त्रिपाठी के पते पर एक वकील जितेन्द्र शर्मा द्वारा उनके पक्षकार के निर्देशानुसार 81 लाख से ऊपर की राशि का मेरे पति द्वारा गवन करने का आरोप लगाते हुए उक्त राशि के भुगतान हेतु मुझे नोटिस भेजा गया है। जबकि इस अकाउंट नंबर में संलग्र उनका मोबाइल नंबर उनकी मृत्यु के कुछ दिन बाद ही उनके भाई श्याम शिवहरे के नाम कर दिया गया था। मेरे पति की मृत्यु के चार दिन बाद नोटिस में वर्णित बैंक में ही नीरज शिवहरे बैंक स्टेटमेंट लेने पहुंचे थे।
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तब मुझे पता चला कि मेरे स्व.पति का फोन नंबर उन्होंने अपने नाम करा लिया है। यह विवरण मेरे द्वारा बार-बार सिटी कोतवाली एवं एसपी ऑफिस के बयानों में दिया गया और अब मुझ पर गवन का आरोप लगाकर मुझे आत्महत्या के लिए विवश किया जा रहा है। उन्होंने अपने पति की मौत को एक सुनियोजित हत्या बताते हुए उससे जुड़े कई सवाल पत्रकारों के समक्ष रखे। उनका कहना था कि भोपाल में पति की मौत के बाद उन्हें शव से न सिर्फ दूर रखा गया बल्कि उसका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया। उनका आरोप है कि उनके ससुरालजन के साथ उनका पति भी सीबीआई न्यायालय में विचाराधीन एक आपराधिक प्रकरण में आरोपी था और उसके सरकारी गवाह बनने का भय होने के कारण ससुरालजनों ही उसे स्लो पॉइजन देकर रास्ते से बाहर से कर दिया। उन्होंने अपने पति स्व.पंकज शिवहरे की संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई से जांच कराने की पुरजोर मांग मीडिया के माध्यम से की है। उन्होंने अपने सुसरालजनों पर एनजीओ माफिया होने का आरोप लगाते हुए करोड़ों रुपए सरकार से अनुदान के रूप में हड़पने के दस्तावेज बतौर सबूत भी पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत किए। उनका कहना था कि दिल्ली की सीबीआई अदालत में इन लोगों के विरूद्ध एक आपराधिक प्रकरण विचाराधीन है। यदि सभी मामलों की जांच की जाए तो सरकारी धन को हड़पने वाले इन माफियाओं का जेल जाना तय है।