हेल्थ डेस्क। एक नए रिसर्च के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की रक्त नलिकाओं की उम्र तेजी से बढ़ती है और इसके चलते महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। शोध में बताया गया है कि महिलाओं के शरीर में मौजूद रक्त नलिकाएं जल्दी खराब होने लगती हैं और उनकी कार्यक्षमता भी कमजोर पड़ने लगती है।
जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध के नतीजे बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनसे यह पता चल सकता है कि महिलाओं को होने वाली कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों के कारण क्या हैं। खास बात यह है कि महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारियां जिस उम्र में होती हैं, वो पुरुषों से अलग होती हैं। इस शोध के नतीजे इसका कारण जानने में भी मददगार हो सकते हैं।
शोध के प्रमुख लेखक और स्मिट हार्ट इंस्टीट्यूट के सुसान चेंग ने कहा, अब तक यही माना जाता है कि महिलाओं में ह्रदय संबंधी बीमारियों का पैटर्न काफी हद तक पुरुषों जैसा ही होता है, लेकिन हमारे शोध के नतीजे अलग हैं। इससे स्पष्ट है कि महिलाओं के शरीर की क्रिया प्रणाली पुरुषों से अलग होती है। इससे यह भी पता चलता है कि उम्र के खास पड़ावों पर महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारियां होने का जोखिम ज्यादा क्यों होता है।
ऐसे हुआ शोध:-
चेंग और उनकी टीम के सदस्यों ने पांच से 98 साल की उम्र के 32,833 लोगों के आंकड़े जुटाए और उनके शरीर में रक्तचाप का विश्लेषण किया। हृदय की तमाम बीमारियों की शुरुआत आम तौर पर उच्च रक्तचाप से ही शुरू होती है। शोधकर्ताओं ने लोगों के रक्तचाप के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया और यह जानने की कोशिश की कि रक्तचाप क्यों बढ़ता है।
महिलाओं को कम उम्र में रक्तचाप की समस्या
शोध के इस तरीके से शोधकर्ताओं को पता चला कि महिलाओं के शरीर में नाड़ी तंत्र की गतिविधियां पुरुषों से काफी अलग होती हैं। चेंग ने बताया, महिलाओं में रक्तचाप का स्तर पुरुषों के मुकाबले तेजी से बढ़ता है। महिलाओं में इसकी शुरुआत भी पुरुषों से कम उम्र में होती है। इसका मतलब है कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित एक 30 वर्षीय महिला को पुरुष की तुलना में कार्डियो वैस्कुलर बीमारियां होने का खतरा ज्यादा होता है।
वहीं, स्मिट हार्ट इंस्टीट्यूट के क्रिस्टिन अलबर्ट ने कहा कि शोध के नतीजे महिलाओं की ह्रदय संबंधी बीमारियों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को नया नजरिया दे सकते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पुरुषों पर किए गए शोध के नतीजों को महिलाओं पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इलाज के तरीके को महिलाओं के शरीर के अनुरूप बदला जाना चाहिए।