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Monday, March 2, 2020

दूल्हे पर 5 लाख तो दुल्हन पर 1 लाख का इनाम था घोषित, सामूहिक विवाह में SP ने कराई शादी, नक्सली जोड़े की प्रेम कहानी

दंतेवाड़ा। इश्क वो बला है जो अच्छे-अच्छों को रास्ता बदलने पर मजबूर कर देता है। अभी तक आप ने प्यार में लैला-मंजनू, हीरा-रांझा के किस्से ही सुने होंगे, लेकिन नक्सल जोड़े के प्यार की कहानी भी कुछ कम नहीं है। बस्तर के दुर्दांत नक्सली जोड़े को जब इश्क हुआ तो नक्सल आंदोलन बेमतलब का महसूस होने लगा। चूंकि नक्सल संगठन में विवाह पर पाबंदी होती है, इसलिए दोनों जंगल से भाग निकले।
रविवार को सरकारी सामूहिक विवाह में जब दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई तो पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा। ऐसा लगा मानो सुबह का भूला शाम को घर लौट आया हो। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि सरेंडर नक्सली माड़ा मड़कामी दंतेवाड़ा के कटेकल्याण ब्लॉक के मुनगा गांव का निवासी है। उसकी पत्नी कुहरामी आयते सुकमा के मेटापाल गांव की है।
दोनों वर्षों से नक्सल संगठन में सक्रिय थे। माड़ा पर पांच लाख और आयते पर एक लाख का इनाम था। नक्सलियों की कांगेर घाटी एरिया कमेटी में काम करने के दौरान दोनों संपर्क में आए। धीरे-धीरे मुलाकातें बढ़ीं और दोनों ने साथ जीने मरने की कसम खाई।
दिक्कत यह थी कि संगठन में किसी को पता चलता तो दोनों का न सिर्फ मिलना-जुलना मुश्किल हो जाता, बल्कि सजा भी दी जाती, इसलिए दोनों ने जंगल से भागकर सरेंडर की योजना बनाई। पहले आयते मौका देखकर भागी। उसने अगस्त 2018 में तोंगपाल थाने में सरेंडर किया।
माड़ा को भागने का मौका नहीं मिल पा रहा था। आयते बेचैन थी। उससे संपर्क का भी जरिया नहीं था। माड़ा ने सवा साल बाद वादा निभाया। दिसंबर 2019 में वह दंतेवाड़ा एसपी के पास पहुंचा। सरेंडर के बाद से आयते तोंगपाल थाने में रह रही है जबकि माड़ा दंतेवाड़ा पुलिस लाइन में रहता है और डीआरजी में तैनात है। दोनों को पुनर्वास योजना का लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है।
इस बीच माड़ा को जब दंतेवाड़ा में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का पता चला तो एसपी पल्लव के पास पहुंचा। एसपी को उनकी प्रेम कहानी का पता चला तो महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से सामूहिक विवाह में नक्सली जोड़े का विवाह कराने को कहा।
प्रेम के लिए भी लेनी होती है अनुमति:-
नक्सल संगठन में प्रेम और विवाह पर पाबंदी है। प्रेम करने के लिए भी लीडर्स की अनुमति लेनी पड़ती है। प्रेम संगठन के भीतर ही किया जा सकता है। गांव की किसी लड़की से प्रेम गुनाह माना जाता है। विवाह की अनुमति मुश्किल से मिलती है। अनुमति मिली भी तो पुस्र्ष की नसबंदी कर दी जाती है ताकि वह बच्चे न पैदा कर पाए। शादी में फेरे नहीं होते, बल्कि जमीन में बंदूक गाड़कर शपथ ली जाती है कि वे नक्सल आंदोलन से नहीं डिगेंगे।