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Monday, March 23, 2020

जर्मनी का तरीका अपना कर दुनिया बच सकती है कोरोना के संक्रमण से

वर्ल्ड डेस्क। कोरोना वायरस के चलते दुनिया के बड़े-बड़े देशों में हालात बेकाबू है। अमेरिका में कोरोना के चलते आपातकाल लागू कर दिया गया है। इटली जैसे विकसित देश में इस जानलेवा वायरस से चार हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। वर्तमान समय में यूरोप कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है, जहां हर एक देश में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, पिछले सप्ताह जर्मनी दुनिया में संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में चौथे नंबर था। यहां चीन, इटली और ईरान के बाद सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज थे, लेकिन जर्मनी वायरस से होने वाली मौतों की संख्या को कम रखने में कामयाब रहा। 
वैज्ञानिकों ने कहा कि संक्रमित लोगों की संख्या और मृत्यु दर के बीच असमानता के पीछे मुट्ठी भर कारक हैं, जिनमें से एक जर्मनी की आक्रामक जांच रणनीति है। 20 मार्च तक लगभग 20,000 मामलों में से केवल 67 मौतों के साथ, जर्मनी इटली की तुलना में कहीं बेहतर है। इटली में 47,000 से अधिक मामलों में 4,032 लोगों की इस जानलेवा वायरस से मौत हुई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि दोनों देशों में कोरोना के मामले एक ही समय में दर्ज हुए थे। साथ ही दोनों यूरोपीय देश समान जनसांख्यिकी साझा करते हैं। इसका मतलब यह है कि जबकि इटली में जर्मनी की तुलना में दोगुना से मामले है, लेकिन इटली में जर्मनी के मुकाबले मृतकों की संख्या लगभग 60 गुना ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, 'टैस्ट, टेस्ट, टेस्ट' यह वायरस से निपटने के लिए सबसे अच्छी सिफारिश है। इस पहलू में, जर्मनी बिल्कुल भी लड़खड़ाया नहीं है। जर्मनी की रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी, रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष लोथर विलेर ने कहा कि जर्मन लैब हर हफ्ते 160,000 परीक्षण कर रहे थे।
अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले जर्मनी ने ज्यादा जांच की:-
20 मार्च तक अनुमानित 2,80,000 परीक्षणों के साथ, जर्मनी ने कई अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक परीक्षण किए हैं। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इटली ने जर्मनी के मुकाबले 26 फीसदी कम परीक्षण किए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़े पैमाने पर की गई जांच के चलते जर्मनी को मृत्यु दर पर नजर रखने में मदद मिली क्योंकि इससे अधिकारियों को ऐसे मामलों का पता लगाने की मदद मिली जिनमें कोई लक्षण नहीं थे। इस तरह इन लोगों के बचने की संभावना बढ़ गई। उन्होंने कहा कि अगर मामलों को शुरुआती चरणों में पता लगाया जाता है तो इस तरह जीवित रहने की एक बेहतर संभावना होती है। 
जर्मनी में संक्रमित रोगियों की औसत उम्र 47 वर्ष:-
एक अन्य प्रमुख कारक जर्मनी में संक्रमित रोगियों की आयु है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जर्मनी में अधिकांश संक्रमित रोगियों की उम्र 60 वर्ष से कम है। यह कुल संक्रमितों मरीजों का 80 फीसदी से अधिक है जिस कारण जर्मनी में मृत्यु दर कम है। जर्मनी में कोरोना वायरस के रोगियों की औसत उम्र 47 वर्ष है, जबकि इटली में यह 63 वर्ष है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इटली में 70 फीसदी से अधिक रोगी 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
हालांकि, जर्मन सरकार ने सतर्कता बरतते हुए कोरोना वायरस के कई मामलों को शुरुआती दौर में ही काबू कर लिया। विलेर ने कहा कि हम एक महामारी की शुरुआत में हैं। 1,000 से अधिक लोग पहले ही वायरस से बच चुके हैं। लेकिन कई गंभीर रूप से बीमार भी पड़ेंगे। और हमें उन्हें चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए।