भोपाल. शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए 26 दिन से ज्यादा हो गए हैं। कोरोना संकट से वे अकेले जूझ रहे हैं। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते अभी तक मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन टलता चला गया है। लेकिन कैबिनेट नहीं होने के कारण अब विपक्ष हमलावर हो गया है। वहीं, दूसरी तरफ पार्टी के भीतर भी नेता मंत्रिमंडल के गठन को लेकर दबाव बना रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान फिलहाल मंत्रिमंडल छोटा रखना चाहते हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खेमे से नेताओं को मंत्रिमंडल की पहली सूची में शामिल करवाना चाहते हैं। प्रदेश में अधिकतम 34 मंत्री बनाए जा सकते हैं लेकिन भाजपा में करीब 50 दावेदार हैं। वहीं, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना है। भाजपा के सामने सबसे बढ़ी मुश्किल यही है कि पार्टी के कद्दावर नेताओं के साथ सिंधिया खेमे के नेताओं को कैसे एडजस्ट किया जाए।
जानिए किसका पलड़ा भारी और क्या है मुश्किलें:-
●गोपाल भार्गव
ताकत: सदन में सबसे वरिष्ठ नेता। सागर जिले की रेहली विधानसभा से लगातार 8वीं बार विधायक। पूर्व में मंत्री भी रह चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए कमलनाथ सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की। विपक्ष में अहम भूमिका निभाई।
मुश्किलें: कोई मुश्किल नहीं है, कैबिनेट छोटा हो या बड़ा मंत्री बनना लगभग तय।
●नरोत्तम मिश्रा
ताकत: पूर्व मंत्री भाजपा में संकट मोचक की भूमिका निभाने वाले नेता। मैंनेजमेंट में माहिर, ऑपरेशन लोटस में अहम भूमिका।
मुश्किलें: कोई मुश्किल नहीं है, कैबिनेट छोटा हो या बड़ा मंत्री बनना लगभग तय।
●भूपेन्द्र सिंह
ताकत: शिवराज सिंह चौहान के करीबी, ओबीसी फैक्टर, पूर्व गृहमंत्री, मैनेजमेंट में माहिर।
मुश्किलें: सागर से 4 दावेदार होने के कारण पहली बार में मौका नहीं मिलने की आशंका।
●गौरीशंकर बिसेन
ताकत: पूर्व मंत्री, महाकौशल का बड़ा नाम, ओबीसी फैक्टर।
मुश्किलें: ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट को साधने के लिए पहली सूची से नाम कटने की आशंका।
●मीना सिंह
ताकत: आदिवासी और महिला चेहरा, शिवराज कैंप की नेता, पूर्व मंत्री।
मुश्किलें: यशोधरा राजे सिंधिया, इमरती देवी, ऊषा ठाकुर, नंदिनी मरावी सहित कई महिला दावेदार।
●राजेन्द्र शुक्ल
ताकत: शिवराज सिंह चौहान के करीबी, विंध्य का सबसे बड़ा चेहरा, अनुभवी।
मुश्किल: भार्गव-नरोत्तम मिश्रा दो ब्राह्मण नेताओं की दावेदारी मजबूत। पहली सूची में नाम कटने की आशंका।
●विजय शाह
ताकत: आदिवासी और निमाड़ से मजबूत चेहरा, पूर्व मंत्री
मुश्किलें: पहली बार छोटी कैबिनेट रखने पर मौका मिलने की संभावना कम।
●यशोधरा राजे सिंधिया
ताकत: महिला, पूर्व मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ।
मुश्किलें: ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से सिंधिया परिवार का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। अन्य महिला विधायकों को मौका।
●संजय पाठक
ताकत: ऑपरेशन लोटस में सक्रिय भूमिका, पूर्व मंत्री।
मुश्किलें: ब्राह्मण दावेदारों की सूची में नाम सबसे नीचे, पहली लिस्ट में मौका मिलने की संभावना कम।
●जगदीश देवड़ा
ताकत: अनुसूचित जाति से बड़ा नाम, पूर्व मंत्री, शिवराज सिंह चौहान औऱ संघ के करीबी।
मुश्किलें: विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के लिए नाम। मालवा से दूसरे बड़े दावेदार।
●अरविंद भदौरिया
ताकत: संघ और संगठन की पसंद, ऑपरेशन लोटस में अहम भूमिका।
मुश्किलें: चंबल से कई दावेदार, सिंधिया-तोमर गुट रोक सकते हैं।
ये हैं सिंधिया गुट के दावेदार:-
●तुलसी सिवालट
ताकत: सिंधिया कैंप से सबसे अनुभवी नेता, सिंधिया के भरोसेमंद, दलित चेहरा, भाजपा में तेजी से मान्यता स्थापित की। टास्कफोर्स के सदस्य।
मुश्किलें: इनके नाम पर कोई मुश्किल नहीं है। पहली सूची में नाम आने की संभावना।
●गोविंद सिंह राजपूत
ताकत: सिंधिया के करीबी नेता, मंत्री पद छोड़ने के कारण स्वाभाविक दावेदारी।
मुश्किलें: सागर से गोविंद सिंह राजपूत चार दावेदार लेकिन इनकी कुर्सी पक्की मानी जा रही है।
●प्रद्युमन सिंह तोमर
ताकत: ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी, मंत्री पद छोड़कर भाजपा में आए।
मुश्किलें: मिनी कैबिनेट की स्थिति में पहली सूची में नाम कटने की संभावना। गोविंद सिंह राजपूत के क्षत्रीय कोटे से आने के कारण भी समस्या। सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया के मंत्री बनने पर पीछे भी हट सकते हैं। ग्वालियर से कई
नाम।
●डॉ प्रभुराम चौधरी
ताकत: सिंधिया के करीबी, मंत्री पद छोड़कर आए। दलित चेहरा।
मुश्किलें: पहली बार में मौका मिलने की संभावना कम। रायसेन जिले से रामपाल सिंह और सुरेन्द्र पटवा भी दावेदार।
●महेन्द्र सिंह सिसौदिया
ताकत: सिंधिया कैंप, मंत्री पद छोड़कर आए।
मुश्किलें: पहली सूची में नाम आने की उम्मीद कम।
●इमरती देवी
ताकत: सिंधिया कैं, मंत्री पद छोड़ा, महिला एवं दलित चेहरा।
मुश्किलें: मिनी कैबिनेट बनने पर पहली सूची में नाम कट सकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहमति ही इनकी सहमति।