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Saturday, April 18, 2020

ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात देने के लिए इस कांग्रेसी दिग्गज नेता को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी!

ग्वालियर. मध्यप्रदेश इन दिनों कोरोना वायरस की चपेट में है। राजनीतिक पार्टियां जहां लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील कर रही हैं। वहीं, आगामी समय में अपने लि रणनीति भी बना रही है। मध्यप्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। ये उपचुनाव मध्यप्रदेश के लिए अहम हैं। कांग्रेस उपचुनाव जीतकर सत्ता में वापसी करना चाहती है तो वहीं, भाजपा चुनाव जीतकर अपनी सरकार को स्थिर करना चाहती है।
ग्वालियर-चंबल पर फोकस:-
मध्यप्रदेश की जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से ज्यादातर सीटें ग्वालियर चंबल की हैं। ग्वालियर-चंबल ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद यहां भाजपा मजबूत हुई है जबकि कांग्रेस कमजोर हुई है। ऐसे में कांग्रेस ग्वालियर-चंबल को ध्यान में रखते हुए डॉ गोविंद सिंह को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद डॉ गोविंद सिंह ही ग्वालियर-चंबल में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं।
ग्वालियर-चंबल से 15 विधायक:-
मध्यप्रदेश में जिन 22 विधायकों ने अपनी विधासनभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था उनमें से 15 विधायक ग्वालियर चंबल के हैं। ये सभी विधायक सिंधिया खेमे के हैं और अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसे में ग्वालियर-चंबल को साधने के लिए कांग्रेस डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बना सकती है।
दिग्विजय के करीबी हैं गोविंद सिंह:-
डॉ गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से विधायक हैं। डॉ गोविंद सिंह कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री भी थे। डॉ गोविंद सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोधी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। हालांकि डॉ गोविंद सिंह जब प्रदेश में मंत्री थे तो कई बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर चुके थे। सिंधिया से उनकी मुलाकात सुर्खियों में रही है।
निधन के कारण खाली हैं दो सीटें:-
मध्यप्रदेश में दो विधायकों के निधन के बाद जौरा और आगर-मालवा सीट सीट खाली है। डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर कांग्रेस ग्वालियर-चंबल को साधना चाहती है। डॉ गोविंद सिंह लगातार 7 बार से विधायक हैं और कांग्रेस चाहती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देने के लिए किसी क्षेत्रीय नेता पर दांव लगाया जाए। हालांकि नेता प्रतिपक्ष की रेस में कांग्रेस और नेता भी शामिल हैं लेकिन ग्वालिर-चंबल को साधने के लिए डॉ गोविंद सिंह विकल्प कांग्रेस को मजबूत दिखाई दे रहा है।