भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में कोरोना का कहर रोकथाम के इंतजाम में देरी का नतीजा है। कोरोना जब प्रदेश की दहलीज पर था, तब सियासी उठापटक चल रही थी। सत्ता परिवर्तन का का खेल चला रहा था। मध्यप्रदेश में 2 मार्च से 20 मार्च तक सत्ता परिवर्तन का खेल चला। इस दौरान कोरोना वायरस को रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए।
नहीं किए गए इंतजाम:-
मध्यप्रदेश में जब 2 मार्च से 20 मार्च तक सत्ता परिवर्तन का खेल चल रहा था तब राज्य सरकार की तरफ से कोरोना को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। ना ही प्रदेश के पड़ोसी राज्यों की सीमा पर स्क्रीनिंग की गई और ना ही राज्य के अंदर क्वारंटाइन को लेकर सख्ती की गई। जबकि कोरोना संक्रमण की खबरें दिसंबर में आनी शुरू हो गईं थी। इससे निपटने का इंतजाम जनवरी और फरवरी में होना था लेकिन नहीं किया गया।
कांग्रेस सरकार ने नहीं दिया ध्यान:-
मास्क, सैनेटाइजर, टेम्परेचर रीडिंग मशीन सहित अन्य मेडिकल सामग्री खरीदी जानी थी लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि अब प्रदेश में तहसील स्तर में माइक्रो लेवल पर स्क्रीनिंग व जांच के लिए इन उपकरणों की कमी आ गई। इससे मार्च का दूसरा और तीसारा हफ्ता काफी प्रभावित हुआ।
फरवरी-मार्च में कोई व्यवस्था नहीं:-
मार्च के पहले सप्ताह में कोरोना विकराल रूप के सामने आया चुका था, लेकिन सरकारी तंत्र और कांग्रेस सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। फरवरी के अंत से लेकर मार्च के दूसरे सप्ताह तक भाजपा-कांग्रेस विधायक, बेगलूरू, हरियाणा, जयपुर जाते रहे। इस दौरान जनता के बचाव के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठाए।
फेल रही इंटेलीजेंसी व स्वास्थ्य टीम:-
कोरोना को लेकर इंटेलीजेंस विफल रहा। तब्लीगी जमात में शामिल कई देशों के लाग भोपाल समेत प्रदेश के कई शहरों में रूके लेकिन इंटेलीजेंस सरकार को कोई इनपुट नहीं दे सकी। न सरकार इस हालातों का पता लगा सकी। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी लोगों की स्क्रीनिंग करने व क्वारेंटाइन करने में विफल रही। मार्च में मध्यप्रदेश में कोरोना के केस सामने आ चुके थे लेकिन कांग्रेस सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
शिवराज के सक्रिय होने से दिखी गंभीरता
कोरोना के खिलाफ सक्रियता शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनते ही दिखी। शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाला जिसके बाद प्रशासन भी पूरी तरह से सक्रिय हुआ। शिवराज ने सत्ता संभालते ही आधी रात को कोरोना की समीक्षा बैठक की और सुबह जबलपुर में कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया। क्योंकि मध्यप्रदेश में कोरोना का पहला मामला जबलपुर में ही सामने आया था।