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Monday, May 11, 2020

कोरोना अस्पतालों में 1.30 लाख बेड, अब तक सिर्फ 1.5 पर्सेंट का इस्तेमाल, भारत में ऐसे हारेगा कोरोना

नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Corona Epidemic) भारत में फैलनी शुरू हुई तो जमकर तैयारियां की गईं। Covid-19 के लिए डेडिकेटेड अस्पतालों में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा बेड का इंतजाम किया गया। अच्छी बात यह है कि इनमें से सिर्फ 1.5 पर्सेंट बेड का इस्तेमाल किया जा रहा है। कारण है कि भारत में कोरोना (Corona in India) के मरीजों के संक्रमण का स्तर बहुत कम है और ज्यादातर मरीज आसानी से ठीक हो जा रहे हैं। अच्छी तैयारियों, कम संक्रमण स्तर और तेज रिकवरी के कारण इस बात का भरोसा जताया जा रहा है कि भारत कोरोना की जंग जल्दी जीत जाएगा।
Covid अस्पतालों में ज्यादातर बेड खाली ही पड़े हैं। ऐसे में जल्द ही समीक्षा करके इन बेड्स को नॉन-कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। दरअसल, कोरोना के खतरे के बाद से ज्यादातर अस्पतालों में अन्य मरीजों को छुट्टी दे दी गई थी और ओपीडी भी बंद कर दिए गए थे। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, 'हमारे अस्पतालों में भीड़ नहीं है क्योंकि हमने क्षमता और बढ़ाई है। ज्यादातर केसों में अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत नहीं होती है। देशभर में 1 लाख 30 हजार बेड्स तैयार किए गए थे, जिसमें से बमुश्किल दो हजार बेड्स का इस्तेमाल हुआ है।'
प्रवासियों के लौटने के कारण इंतजार करेगी सरकार
लॉकडाउन के तीसरे चरण में छूट का दायरा बढ़ने और प्रवासी मजदूरों के उनके गांव लौटने की स्थिति को देखते हुए सरकार जल्द अपने प्लान में बदलाव नहीं करना चाहती है। सरकार अभी इंतजार में है कि अगले कुछ दिनों में केस किस गति से बढ़ते हैं। कोविड के लिए डेडिकेटेड अस्पतालों में 99000 बेड ऑक्सिजन सपोर्ट और 35 हजार बेड आईसीयू की सुविधा वाले हैं।
1.30 लाख बेड्स में से ज्यादातर सरकारी:- अस्पतालों में हैं। सिर्फ 10 पर्सेंट बेड मेट्रो सिटीज के प्राइवेट अस्पतालों में हैं। फिलहाल देशभर में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ 970 अस्पताल हैं। वहीं, 2300 कोविड हेल्थ सेंटर हैं, जिनमें या तो डेडिकेटेड कोविड ब्लॉक्स बनाए गए हैं या फिर पूरे अस्पताल को ही कोविड अस्पताल में बदलतर कम संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जगाई नई उम्मीद:-
एक अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हम स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। बेड्स के इस्तेमाल के आधार पर बढ़ाने या घटाने का फैसला लिया जाएगा। मुझे लगता है कि अभी हम और इंतजार करेंगे और इस महीने के अंत तक ही इसपर कोई फैसला लेंगे।'
अलग से कोविड अस्पताल बनाना चाहती हैं प्राइवेट कंपनियां:-
केंद्र सरकार को प्राइवेट सेक्टर की ओर से अलग से कोविड अस्पताल बनाने के प्रस्ताव भी मिले हैं। ठीक इसी तरह चीन में भी अस्पताल बनाए गए हैं। हालांकि, अभी भारत सरकार ने इसपर कोई फैसला नहीं लिया है। एक अधिकारी ने बताया, 'कई प्राइवेट कंपनियों ने रुचि दिखाई है लेकिन अभी हमें और इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं महसूस हो रही है। हमें उम्मीद है कि आगे भी हमें इसकी जरूरत नहीं ही पड़ेगी।
1- फेवीपिरवीर दवा:-
अब फेवीपिरवीर (Favipiravir) दवा के क्लीनिकल ट्रायल की भी मंजूरी मिल गई है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के महानिदेशक (डीजी) शेखर मांडे ने बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने फेवीपिरवीर के साथ-साथ फाइटोफार्मास्यूटिकल (Phytopharmaceutical) दवा के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। अगर ट्रायल कामयाब रहा तो कोरोना के इलाज के लिए सस्ते में दवा उपलब्ध हो जाएगी।
2- लोपिनावारी/रिटोनावीर दवा:-
लोपिनावारी/रिटोनावीर (Lopinavir/ritonavir) एक कॉम्बिनेशन दवा है, जिसका इस्तेमाल एचआईवी (HIV)/एड्स (AIDS) के इलाज में किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल कोरोना परिवार के ही सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम (SARS) और मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम (MERS) के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल हो चुका है। आईसीएमआर (ICMR) की ओर से भी इसके इस्तेमाल की इजाजत मिली हुई है। हालांकि, इस दवा के इस्तेमाल से पहले मरीज से इसके लिए लिखित इजाजत जरूरी है।
3- इटोलिज़ुमैब दवा:-
बायोकॉन की इटोलिज़ुमैब (Itolizumab) दवा त्वचा रोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। इसका इस्तेमाल सिर्फ उन्हीं कोरोना के मरीजों पर किया जाता है, जो गंभीर श्रेणी में पहुंच चुके होते हैं। इस एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा का मुंबई और दिल्ली में ट्रायल चल रहा है।
4- तोसिलिज़ुमैब दवा:-
कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों का इलाज करने के लिए आर्थराइटिस में इस्तेमाल होने वाली दवा तोसिलिज़मैब (Tocilizumab) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस दवा से इम्यून सिस्टम बढ़ता है। इस दवा से मरीजों में होने वाले जलन को कम किया जा सकता है।
5- माइसोबैक्टीरियम डब्ल्यू/सेप्सिवेक दवा:-
लेप्रसी यानी कुष्ठ रोग में माइसोबैक्टीरियम डब्ल्यू (Mycobacterium w)/सेप्सिविक (Sepsivac) दवा का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल गंभीर रक्त संक्रमण जैसे मामलों में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी होता है और अब इस दवा का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों पर करने की तैयारी है। अभी पीजीआई चंडीगढ़ और भोपाल एम्स में इनका क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है।
6- डायसलफिराम दवा:-
जिन लोगों को शराब की लत लग जाती है उन्हें डायसलफिराम (Disulfiram) दवा दी जाती है, ताकि उनकी शराब छूट सके। कोविड-19 से पहले कोरोना वायरस के परिवार के ही SARS और MERS के मरीजों को ये दवा दी गई थी, जिसमें पाया गया कि उनकी इम्युनिटी पावर बढ़ी। इसे भी कोविड-19 के मरीजों को देने पर विचार हो रहा है।
7- लोपेरामाइड दवा:-
डायरिया रोग के मरीजों को लोपेरामाइड (Loperamide) दवा दी जाती है। इस दवा को कोरोना के मरीजों को देने पर विचार चल रहा है। दरअसल, कोरोना के कई मरीजों में आंत में जलन जैसे लक्षण दिख रहे हैं, जिन पर इस दवा को इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है।
8- एजिथ्रोमाइसिन+एंटोवेक्योन दवा:-
जल्द ही अमेरिकी शोधकर्ता एंटीबायोटिक्स एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) और निमोनिया की दवा एंटोवेक्योन के कॉम्बिनेशन का ट्रायल कोरोना मरीजों पर करने की योजना बना रही है। रिसर्च से ये साफ हुआ है कि इसका भी मरीजों का फायदा मिल सकता है।
9- एंटी-कोएगुलेंट ट्रीटमेंट:-
अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक वेंटिलेटर पर मरीजों को दवा देने से उनके बचने की संभावना 130 फीसदी तक बढ़ जाती है। कोरोना के मरीजों में खून के थक्के जमते दिख रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जा रही है। ऐसे में डॉक्टर खून पतला करने का ट्रीटमेंट कर रहे हैं, जिसे एंटी-कोएगुलेंट ट्रीटमेंट कहते हैं।
10- प्लाज्मा थेरपी:-
अमेरिका से लेकर भारत के कई राज्यों में प्लाज्मा थेरपी से कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कई लोग इससे सही भी हुए हैं। इसमें कोरोना से रिकवर हुए लोगों का प्लाज्मा निकाल कर उसे मरीजों में डाला जाता है। दरअसल, कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडी होती है, जो कोरोना से लड़ने के लिए विकसित हो चुकी होती हैं, जिससे कोरोना के मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सिर्फ 1.1 पर्सेंट मरीज वेंटिलेटर पर हैं, 3.3 पर्सेंट मरीज ऑक्सिजन पर हैं और 4.8 पर्सेंट मरीज आईसीयू बेड पर हैं। यह दर्शाता है कि भारत में संक्रमण की संख्या भले की बढ़ी हो लेकिन संक्रमण की गंभीरता कम है। देशभर में 6.45 लाख बेड्स के आइसोलेशन का भी इंतजाम है।