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Monday, May 11, 2020

आतंकी रियाज नायकू के लिए 15 रात जागे थे जवान, ऑपरेशन में शामिल असिस्टेंट कमांडेंट ने बताई कहानी

जम्मू कश्मीर। दक्षिण कश्मीर में अवंतीपुरा के गांव बेईघबोरा में एक घर के आसपास पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की हलचल तेज हो गई थी। ये लोग बीते 15 दिनों से लगातार दिन और रात काम कर रहे थे। इन्हें पक्का यकीन था कि मोस्ट वांटेड आतंकी रियाज नायकू इसी घर में छुपा हुआ है। फिर जो हुआ वो पूरा देश जानता है। नायकू को हमारे जाबांजों ने ढेर कर दिया। इस मिशन में शौर्य चक्र विजेता बोहड़ा कलां गांव के एसीपी जिले सिंह भी शामिल थे। राष्ट्रीय राइफल, जम्मू कश्मीर पुलिस व सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान में शामिल जिले सिंह बायां हाथ टूटने पर भी अपने साथियों को वहां से सुरक्षित निकालने में सफल रहे। उनका अभी आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा है। जिले सिंह ने फोन पर कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने देश के दुश्मन को मारने में अपना योगदान दिया है।
नायकू के गांववालों ने किया था पथराव:-
शौर्य चक्र विजेता सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट जिले सिंह ने बताया कि 32 वर्षीय रियाज नायकू अवंतीपुरा के गांव बेईघबोरा में एक घर में छिपा था। जब उसे मारा गया तो गांव वालों ने हिंसक प्रतिक्रिया करते हुए पथराव कर दिया। जिससे उनके बाएं हाथ की हड्डी टूट गई, लेकिन फिर भी उन्होंने हौसला नहीं खोया और अपने फंसे हुए साथियों को वहां से निकालने में कामयाब हुए। उनकी इस उपलब्धि पर जहां सीआरपीएफ कैंप में खुशी का माहौल है, वहीं गांव बोहड़ाकलां वासियों में जिले सिंह की बहादुरी की जमकर प्रशंसा हो रही है। इस अवसर पर गांव के सरपंच यजुवेंद्र सिंह गोगली, विकास मंच पटौदी के संयोजक पवन चौधरी, श्रीराम स्कूल के चेयरमैन श्यामबीर चौहान, गौशाला के प्रधान महेश सैनी, मनबीर चौहान, टेसवा के जिला प्रधान राजेंद्र यादव ने जिले सिंह के शौर्य की जमकर प्रशंसा करते हुए स्वस्थ होने की प्रार्थना की है।
मिल चुका है शौर्य चक्र:-
सीआरपीएफ के शौर्य चक्र विजेता असिस्टेंट कमांडेंट जिले सिंह आतंकवादियों के लिए खौफ का पर्याय बन गए हैं। पुलवामा में सीआरपी कैंप में हमले के दौरान जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों को मार गिराने व अपने साथियों की रक्षा करने के लिए उन्हें केवल आर्मी को दिए जाने वाला शौर्य चक्र प्रदान किया गया था। इसके अलावा भी वे दर्जनों ऑपरेशन में सीआरपीएफ की बहादुरी का जीता जागता उदाहरण बन चुके हैं।
जीनत उल इस्लाम उर्फ उस्मान:-
हिजबुल गैंग के जीनत उल इस्लाम उर्फ उस्मान को आईईडी एक्सपर्ट भी कहा जाता था। यह भी आतंकी बुरहान वानी का साथी था। जनवरी 2019 में इसे मार गिराया गया था। यह 2015 से आतंकी गतिविधियों में शामिल था और शोपियां में जिला कमांडर बना हुआ था। A++ श्रेणी का यह आंतकी शोपियां का निवासी था।
​मन्नान वानी:-
हिजबुल के ही A++ कैटिगरी के इस आतंकी को पढ़ाई में काफी होशियार बताया जाता है। अक्टूबर 2018 में उसे मार गिराया गया था। वानी साल 2011 से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से पढ़ाई कर रहा था, जहां उसने एम. फिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भूविज्ञान से पीएचडी में प्रवेश लिया। आज भी कॉलेज की वेबसाइट पर उसे मिले पुरस्कारों के साथ नाम दर्ज है। वानी के आतंकवादी बनने का सफर वर्ष 2017 के अंत में शुरू हुआ, जब वह दक्षिण कश्मीर के कुछ छात्रों के संपर्क में आया। इस साल तीन जनवरी को उसने आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनने के लिए अलीगढ़ छोड़ दिया था।
शाहजहां:-
जैश ए मोहम्मद के कमांडर शाहजहां को सुरक्षबलाों ने अप्रैल 2019 में मार गिराया था। शोपियां का निवासी शाहजहां A++ श्रेणी का आंतकी था।
बुरहान के बाद पोस्टर बॉय बना था जाकिर मूसा:-
साल 2019 में सेना ने जाकिर राशिद बट्ट उर्फ मूसा को ढेर कर दिया। इसके साथ ही घाटी में गजवात उल हिंद नाम के आतंकी संगठन का ही सफाया हो गया था। यह इसका चीफ था। जाकिर मूसा पर भी 12 लाख का इनाम था।बुरहान के बाद टॉप आतंकी कमांडर बना जाकिर मूसा एक प्रतिष्ठित और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता था। इंजिनियरिंग की पढ़ाई छोड़ घाटी लौट गया और इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए जंग का रास्ता चुना। वह कश्मीर की लड़ाई को राजनीतिक ना मानकर धार्मिक मानता था। हिज्बुल से अलग होकर अल कायदा के संगठन का चीफ बना था।
​हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू ढेर:-
साल 2018 में बनाई गई हिट लिस्ट में हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू सबसे पहले नंबर पर था। उसे सेना ने आज (06 मई 2020) को मार गिराया है। नायकू 2012 में आतंकी बना था। उससे पहले तक वह एक प्राइवेट स्कूल मे मैथ टीचर था।
गांव से निकलकर अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया
गुड़गांव के गांव बोहड़ाकलां की पट्टी चैनपुरा निवासी कृष्ण लाल व केला देवी के घर पर जन्मे जिले सिंह ने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट किया था। इसके बाद 2003 में वे सीआरपीएफ में बतौर सब इंस्पेक्टर भर्ती हो गए। इस दौरान उन्होंने कोबरा कमांडो सहित कई अव्वल दर्जे के प्रशिक्षण प्राप्त किए। अपने बहादुरी व शौर्य के दम पर न केवल असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर पहुंचे बल्कि अपनी बहादुरी के दम पर शौर्य चक्र भी प्राप्त किया। उन्होंने हमेशा ही चुनौती को स्वीकार किया है। वह लगातार नक्सलवाद व आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात रहे हैं। वे सीआरपीएफ के अनुभवी, भरोसेमंद व जांबाज कमांडो की श्रेणी में शामिल हैं।