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Wednesday, June 24, 2020

भ्रष्टाचार पर RTI में जानकारी न देकर घिरे एडिशनल सेक्रेटरी, लगा 25 हजार का जुर्माना

भोपाल. मध्य प्रदेश नगरीय प्रशासन विभाग में भ्रष्टाचार के एक मामले में जानकारी छिपाने पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह (Information Commissioner Rahul Singh) ने राजस्व विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी आर.एस वर्मा पर व्यक्तिगत 25 हजार रुपए का जुर्माना (Fine) लगाया है. जानकारी के मुताबिक विदिशा (Vidisha) निवासी वकील अचल कुमार दुबे ने आरटीआई (Right To Information) दाखिल कर सीएमओ आर कार्तिकेय द्वारा किए कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट और इससे जुड़े हुए अन्य दस्तावेज मांगे थे. इस घोटाले की जांच वर्ष 2016 में नगरीय प्रशासन विभाग, भोपाल स्तर पर की गई थी.
एडिशनल सेक्रेटरी आर.एस वर्मा ने राज्य सूचना आयोग की सुनवाई में मामले से जुड़ी फाइलों में दर्ज कार्रवाई का हवाला देते हुए दावा किया कि उन्होंने कोई लापरवाही नहीं बरती है. उनकी इस दलील पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जब उनसे दस्तावेज मांगे तो आर.एस वर्मा घबरा गए और कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाए. इस पर सिंह ने अपने आदेश में कहा कि अपीलकर्ता को परेशान करने के नीयत से जान-बूझकर जानकारी से वंचित रखा. साथ ही विभाग में अफसरों की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया.
आयोग की जांच में हुआ खुलासा:-
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले से जुड़े जब सभी दस्तावेजों की जांच की तो पाया कि तत्कालीन सहायक लोक सूचना अधिकारी उप सचिव नगरीय प्रशासन विभाग आर.एस वर्मा ने गलत तरीके से जानकारी रोकने का प्रयास किया. जानकारी से संबंधित कुछ दस्तावेज उनके पास पहले से मौजूद थे. लेकिन उन्होंने जान-बूझकर अपीलकर्ता को यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि मामले की जांच चल रही है और दस्तावेज उपलब्ध होने पर दिए जाएंगे.
केस में अफसरों में खेला फिक्स्ड मैच:-
आयोग ने अपीलकर्ता अचल कुमार दुबे को क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर दो हजार रुपए का हर्जाना देने का आदेश भी दिया है. आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में आदेश जारी करते हुए कहा कि ढाई वर्ष चले इस प्रकरण में लोक सूचना अधिकारी की टीम फिक्स्ड मैच खेलते हुए नजर आए. जहां सूचना के अधिकार के उल्लघंन के लिए कोई भी अधिकारी अपने आप को दोषी नहीं मानता है. इस मैच में सबका एक ही लक्ष्य है कि अपीलकर्ता को जानकारी ना दी जाए.
कलेक्टर पर पहले हो चुका है जुर्माना:-
इस प्रकरण में जबलपुर के कलेक्टर भरत यादव पर पहले ही आयोग पांच हजार रूपए का जुर्माना लगा चुका है. यादव ने अपना पक्ष रखते हुए आयोग से गुहार लगाई थी कि उन पर कार्रवाई ना की जाए. क्योंकि उनके सामने इस प्रकरण को प्रस्तुत नहीं किया गया था. इस पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने भरत यादव की अपील को इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रथम अपीलीय अधिकारी के जानकारी देने के आदेश भरत यादव के लोक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त होने के बाद ही आए थे, इसलिए वो जानकारी देने के लिए बाध्य थे. वहीं सिंह ने अपने आदेश में कहा कि 30 दिन में दी जाने वाली जानकारी को देने में विभाग के लोक सूचना अधिकारियों ने ढाई वर्ष से अधिक का समय लगा दिया.
मंदसौर कलेक्टर, उप सचिव को मिल चुकी है चेतावनी:-
इस मामले में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी रहे गोपाल चंद्र डाड, जो वर्तमान में मंदसौर कलेक्टर हैं, और राजीव निगम उप सचिव नगरीय प्रशासन विभाग, भोपाल को प्रकरण के निराकरण में लापरवाही बरतने में कुछ बिंदुओं पर जिम्मेदार मानते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने दोनों को चेतावनी देते हुए भविष्य में सूचना के अधिकार प्रकरणों की समय सीमा में कार्रवाई के लिए सचेत करते हुए कारण बताओ सूचना पत्र की कार्रवाई से विमुक्त किया है.