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Wednesday, June 24, 2020

कोरोना वायरस ऐसे दिखा रहा असर, ये हैं मौत के सात प्रमुख कारण

इंदौर। कोरोना वायरस संक्रमित मरीज मिलने के साथ ही मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। जब मरीज अधिक मिल रहे थे, तब मौतों की संख्या कम थी। लेकिन अब जब मरीज कम हो रहे हैं तो मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। संक्रमण के दूसरे से चौथे हफ्ते में अस्पताल पहुंचना भी मौत की सात प्रमुख वजहों में से एक है। कई केस ऐसे भी सामने आए जिनमें जिनमें ऑक्सीजन का लेवल 10 से 20 प्रतिशत रह गया था जिससे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो गया।
देरी से पहुंचने के कारण संक्रमण दोनों फेफड़ों तक आसानी से पहुंचकर उन्हें पूरी तरह प्रभावित कर रहा है। ऐसे में वे मरीज जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें बचाना मुश्किल होता है।
डॉक्टरों के अनुसार शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 95 से 100 प्रतिशत तक रहना जरूरी है। कई मरीज तो तब अस्पताल पहुंचे, जब उनका ऑक्सीजन स्तर 10 से 20 प्रतिशत के बीच था। ऐसी हालत में मरीज की जान बचाना भी मुश्किल हो गया।
इनमें से भी लोग ठीक हो रहे हैं, लेकिन उन्हें 15 से 20 दिनों तक का समय लग रहा है। एक तरफ सरकार का सख्त निर्देश है कि मौत के आंकड़ों को शून्य पर लाना है, दूसरी तरफ मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में एंटीबायोटिक सहित अन्य दवाइयों से उपचार किया जा रहा है। इसके बाद भी गंभीर रूप से संक्रमित अधिकतर मरीज ठीक नहीं हो पा रहे हैं।
ये वजहें हैं प्रमुख:-
कोरोना संक्रमित होने के बाद दूसरे से चौथे हफ्ते में मरीजों का गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचना।
अन्य बीमारियों के साथ वायरस का अधिक घातक होना व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को अधिक प्रभावित करना। मधुमेह के गंभीर मरीजों का कोरोना संक्रमित होना, जिससे रिकवरी होने की संभावना कम होती है।
अधिक उम्र, हृदय या किडनी के गंभीर बीमार लोगों के संक्रमित होने से उन्हें बचाना भी मुश्किल हो रहा है।
सामान्य तौर पर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 95 प्रतिशत रहना चाहिए। लेकिन मरीज को भर्ती करते समय ऑक्सीजन का स्तर 10 से 20 प्रतिशत तक पहुंचना भी मौत का एक कारण सामने आया है।
अस्थमा, टीबी के ऐसे मरीज, जिन्होंने बीच में इलाज छोड़ दिया हो या फेफड़े संक्रमित हो चुके हों, वह भी गंभीर संक्रमण का शिकार हुए हैं।
ऐसे लोग जिनके धूमपान करने के कारण दोनों फेफड़े खराब हो गए हों या अन्य कारण से दोनों फेफड़े खराब हों, ऐसे मरीजों की मौत भी हुई है।
1 से 15 जून के बीच मरीज कम, सबसे अधिक मौत:-
लॉक डाउन के समय से 22 जून तक इंदौर में सबसे अधिक 43 मौत 1 से 15 जून के पखवाड़े में दर्ज हुई है। वहीं सबसे कम पॉजिटिव मरीज 604 भी इसी पखवाड़े में सामने आए हैं। जून माह में पॉजिटिव आए मरीजों की संख्या कम हो रही है। रिकवरी रेट भी बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।
संक्रमण के बाद पता चलना जरूरी:-
संक्रमण के बाद समय पर इसकी जानकारी लगना, जांच कराना व अस्पताल आना सबसे महत्वपूर्ण है। जो लोग पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनकी ही सबसे अधिक मौत हो रही है। कोरोना वायरस उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला कर रहा है, जिससे वह ठीक नहीं हो पाते। कोरोना संक्रमण से मौत के सात से अधिक कारण हमारी जानकारी में आए हैं।
-डॉ. रवि दोशी, अरबिंदो अस्पताल इंदौर