रिपोर्ट- पवन शर्मा (स्टेट ब्यूरो हेड पंजाब)
पंजाब। चंडीगढ़ सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1984 के सिख कत्लेआम में बिना वजह गांधी परिवार को घसीटने के लिए शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दंगों में पार्टी के कुछ नेता शामिल थे, पर उन्हें गुप्त या खुले तौर पर पार्टी लीडरशिप की कोई हिमायत हासिल नहीं थी। सीएम ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हाल ही में पार्टी ने तीन राज्यों में जीत दर्ज की है। सुखबीर, राहुल की लीडरशिप को कमजोर करने की नाकाम कोशिशें कर रहे हैं। वोटरों का समर्थन जुटाने को लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेल रहे हैं। उन्हें इस संवेदनशील मसले का सियासीकरण बंद कर देना चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का दुरुपयोग करके अकाली दल को कुछ नहीं मिलेगा। लोकसभा चुनाव में भी उनका हाल 2017 वाला होगा। कैप्टन ने दोहराया कि अगर व्यक्तिगत तौर पर दंगों में कोई शामिल था तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पर इस मामले में गांधी परिवार या कांग्रेस को लपेटना गैरवाजिब है। हिंसा के समय राहुल स्कूल में पढ़ते थे और राजीव गांधी पश्चिम बंगाल में थे। सुखबीर संकुचित सियासी हितों के लिए सिखों की भावनाओं से खेल रहे हैं। सीएम ने कहा कि गुनहगारों का कोई धर्म नहीं होता, न वह किसी सियासी पार्टी से जुड़े होते हैं। अदालत ने सज्जन कुमार को सजा देकर इस केस में मिसाल कायम कर दी है। बाकी दोषियों का भी यही हाल होगा। अगर सुखबीर इस मामले में इतने ही गंभीर हैं तो उन्होंने तुगलक रोड थाने में दर्ज एफआईआर में शामिल 22 आरएसएस-भाजपा वर्करों का मुद्दा क्यों नहीं उठाया। अकालियों द्वारा इस मामले में हो-हल्ला करना राजनीति से प्रेरित है। कैप्टन ने कहा कि वह लगातार कहते रहे हैं कि दंगों के बाद वह शरणार्थी कैंपों में गए तो लोगों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था। पर सुखबीर जिन लोगों का नाम ले रहे हैं, उनका कभी जिक्र नहीं हुआ। दोषियों को सजा देना अदालत पर निर्भर है, इसमें सुखबीर या अकाली दल की कोई भूमिका नहीं है।
पंजाब। चंडीगढ़ सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1984 के सिख कत्लेआम में बिना वजह गांधी परिवार को घसीटने के लिए शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दंगों में पार्टी के कुछ नेता शामिल थे, पर उन्हें गुप्त या खुले तौर पर पार्टी लीडरशिप की कोई हिमायत हासिल नहीं थी। सीएम ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हाल ही में पार्टी ने तीन राज्यों में जीत दर्ज की है। सुखबीर, राहुल की लीडरशिप को कमजोर करने की नाकाम कोशिशें कर रहे हैं। वोटरों का समर्थन जुटाने को लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेल रहे हैं। उन्हें इस संवेदनशील मसले का सियासीकरण बंद कर देना चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का दुरुपयोग करके अकाली दल को कुछ नहीं मिलेगा। लोकसभा चुनाव में भी उनका हाल 2017 वाला होगा। कैप्टन ने दोहराया कि अगर व्यक्तिगत तौर पर दंगों में कोई शामिल था तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पर इस मामले में गांधी परिवार या कांग्रेस को लपेटना गैरवाजिब है। हिंसा के समय राहुल स्कूल में पढ़ते थे और राजीव गांधी पश्चिम बंगाल में थे। सुखबीर संकुचित सियासी हितों के लिए सिखों की भावनाओं से खेल रहे हैं। सीएम ने कहा कि गुनहगारों का कोई धर्म नहीं होता, न वह किसी सियासी पार्टी से जुड़े होते हैं। अदालत ने सज्जन कुमार को सजा देकर इस केस में मिसाल कायम कर दी है। बाकी दोषियों का भी यही हाल होगा। अगर सुखबीर इस मामले में इतने ही गंभीर हैं तो उन्होंने तुगलक रोड थाने में दर्ज एफआईआर में शामिल 22 आरएसएस-भाजपा वर्करों का मुद्दा क्यों नहीं उठाया। अकालियों द्वारा इस मामले में हो-हल्ला करना राजनीति से प्रेरित है। कैप्टन ने कहा कि वह लगातार कहते रहे हैं कि दंगों के बाद वह शरणार्थी कैंपों में गए तो लोगों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था। पर सुखबीर जिन लोगों का नाम ले रहे हैं, उनका कभी जिक्र नहीं हुआ। दोषियों को सजा देना अदालत पर निर्भर है, इसमें सुखबीर या अकाली दल की कोई भूमिका नहीं है।