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Thursday, February 28, 2019

20 साल पहले PAK के कब्जे में था ये भारत का जांबाज पायलट, 8 दिन बाद हुई थी घर वापसी

पाकिस्तान ने आज दावा किया है कि उन्होंने दो भारतीय विमान मार गिराए और 2 पायलट गिरफ्तार कर लिए हैं. उसके दावों की सच्चाई की परख होनी बाकी है. वहीं 20 साल पहले करगिल युद्ध के समय पाकिस्तान ने भारत के एक फाइटर पायलट को गिरफ्तार करने में सफलता पाई थी. नाम था के. नचिकेता. नचिकेता के दुश्मन के चंगुल में फंसने और वापस सकुशल लौटने की कहानी दिलचस्प है। 3 जून 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान IAF के फाइटर पायलट के नचिकेता को भारतीय वायु सेना की ओर से चलाए गए ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में MIG 27 उड़ाने का काम सौंपा गया था. उस वक्त उनकी उम्र 26 साल थी. जहां नचिकेता ने दुश्मन के बिलकुल करीब जाकर 17 हजार फुट से रॉकेट दागे और दुश्मन के कैंप पर लाइव रॉकेट फायरिंग से हमला किया. लेकिन इसी बीच उनके विमान का इंजन खराब हो गया. जिसके बाद इंजन में आग लगने से MIG 27 क्रैश हो गया। नचिकेता विमान से सुरक्षित बाहर निकलने में तो सफल रहे लेकिन वे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के पास स्कार्दू में फंस गए. पाकिस्तानी सौनिकों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया था. जिसके बाद पाकिस्तान सेना ने उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से टॉर्चर किया. पाकिस्तानी आर्मी उनसे भारतीय आर्मी की जानकारी निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। नचिकेता ने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था. उनके प्लेन क्रैश की खबरें इंटरनेशनल मीडिया में रहीं. पाकिस्तान सरकार पर दबाव रहा और 8 दिन बाद पाकिस्तानी आर्मी ने नचिकेता को इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को सौंपा. जिसके बाद नचिकेता को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत भेजा गया। तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया. कारगिल युद्ध 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ। आपको बता दें, वायु सेना में उनकी बहादुरी मेें नचिकेता को वायु सेना मेडल सम्मानित किया गया है. उनका जन्म 31 मई 1973 को हुआ था. उनके माता-पिता का नाम आर. के शास्त्री और श्रीमती लक्ष्मी शास्त्री है। उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली में केंद्रीय विद्यालय से की. जिसके बाद पुणे के करीब खडकवासला नेशनल डिफेंस अकेडमी में ट्रेनिंग लेकर वायु सेना में भर्ती हो गए थे. उन्होंने 1990 से साल 2017 तक वायु सेना को अपनी सेवा दी. बता दें, उनकी रैंक भारतीय वायुसेना में बातौर ग्रुप कैप्टन थी।आपको बता दें, कारगिल युद्ध के दौरान चोट लगने से फाइटर फ्लाइंग में वापस जाने में असमर्थ थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और विशाल Il-76 ट्रासपोर्ट विमान उड़ाते थे। उनका कहना था एक पायलट का दिल हमेशा एक विमान से जुड़ा रहता है।