जम्मू। पाकिस्तान पोषित राष्ट्रविरोधियों ने संसद हमले के मास्टरमाइंड जिस अफजल गुरु को अपना आदर्श बना रखा है उसी अफजल गुरु का बेटा राह से भटके इन लोगों को आईना दिखा रहा है। अफजल का बेटा गालिब गुरु खुद के भारतीय होने पर गर्व करता है। अपना आधार कार्ड बनने पर वह बेहद खुश है और भारतीय पासपोर्ट बनवाने को उत्सुक है।
दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाला होनहार गालिब अब मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रहा है। वह डॉक्टर बन मानवता की सेवा करना चाहता है। बेहद मासूम लेकिन उतने ही संजीदा दिखने वाले गालिब को उसकी मां ने नकारात्मकता और बुजदिली से भरी अफजलवादी सोच से बचाए रखा है।
गालिब और उसकी मां का यह रुख उन अफजलवादियों-अलगाववादियों के मुंह पर जोरदार तमाचा है, जो कहते हैं, 'तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा...'। गालिब एक पैगाम है कि खुद अफजल के घर से अफजल नहीं निकला। पाकिस्तान के षडयंत्र का शिकार बन अफजल गुरु ने न केवल जान गंवाई बल्कि अपने पीछे अपने परिवार को संघर्ष करने छोड़ गया।
भारतीय संसद पर हमले के लिए उसे फांसी की सजा मिली थी। अपने पिता के बारे में गालिब अधिक बात नहीं करना चाहता है। वह कहता है, मां ने मुझे बताया कि पिता चाहते थे कि मैं पढ़ लिख कर नेक इंसान और डॉक्टर बनूं...।
उड़ी से लेकर पुलवामा हमले तक, अफजल ब्रिगेड का नाम सामने आता रहा है। अलगाववादी इनका संरक्षण करते आए हैं। अठारह साल के गालिब को हाल ही में आधार कार्ड मिला। उसका कहना है कि वह आधार कार्ड मिलने से काफी गर्व महसूस कर रहा है। कम से कम उसके पास दिखाने के लिए एक कार्ड तो है। अगर उसे अब पासपोर्ट मिलता है तो वह अपने आप को भारत का गौरवान्वित नागरिक महसूस करेगा। उसे अपना भविष्य संवारने के भी कई अवसर मिलेंगे।
गालिब अपने नाना गुलाम मुहम्मद और मां तबस्सुम के साथ रहता है। बर्फ से ढके गुलशनाबाद की पहाड़ियों पर स्थित अपने घर में रह रहे गालिब के सपने भी काफी ऊंचे हैं। दसवीं में 95 फीसद और बारहवीं कक्षा में 89 फीसद अंक हासिल कर गालिब कश्मीर की नई पीढ़ी को हिंसा से दूर बेहतर भविष्य की राह दिखा चुका है। अब उसका सपना डॉक्टर बनने का है ताकि लोगों की सेवा कर नाम कमा सके।
गालिब ने बातचीत में कहा कि अब वह अपने पिता के सपने को पूरा करना चाहता है। उसके पिता शेर-ए-कश्मीर इंस्टीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस में उसे मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते थे। अब उनके सपने को वह पूरा करेगा। इस समय वह नीट की तैयारी कर रहा है। यह परीक्षा 5 मई को होनी है। गालिब का कहना है कि उसका सपना है कि वह भारत के ही किसी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करे। लेकन अगर वह परीक्षा पास करने में असफल रहता है तो विदेश में पढ़ाई करने का प्रयास करेगा।
मां ने आतंकियों से बचाया-
गालिब का कहना है कि उसकी मां तबस्सुम ने उसे आतंक के दबाव से बाहर रखा। उसकी मां ही उसकी प्राथमिकता है। लोग क्या कहते हैं इस पर उसने कभी भी नहीं सोचा। उसकी मां ने उसे उन आतंकी संगठनों से बचाया है जो कि उस जैसे कई युवाओं को हथियार उठाने के लिए भड़काते हैं।
कहता है, मां ने मेरे लिए अलग जगह बनाई। वे कहती रहीं कि अगर कोई तुम्हें कुछ कहता भी है तो उस पर कोई भी प्रतिक्रिया न दो, चुप रहो। उसकी मां और नाना का कहना है कि हम कश्मीर मुद्दे पर किसी भी प्रकार की बहस में भाग नहीं लेते।
नाना भी अपने नाती की मेहनत और सफलता से काफी खुश हैं। उनका कहना है कि गालिब ने दसवीं और बारहवीं कक्षा में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। ऐसे में उन्होंने पूरी उम्मीद है कि वह सफल डॉक्टर बनेगा।
सुरक्षाबलों ने नहीं किया परेशान-
गालिब का कहना है कि जिस गांव में वह रहता है वहां पर काफी सुरक्षाबल हैं। परंतु आज तक किसी ने उसे कभी भी परेशान नहीं किया। कई बार सुरक्षाबलों से मिलता हूं परंतु वह हर बार प्रोत्साहित करते हैं। वह कहते हैं कि यदि मैं मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता हूं तो वह कभी मेरे या मेरे परिवार में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। वह खुद मुझे डॉक्टर बनने के लिए कहते हैं।