देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने ग्राहकों की सुविधाओं को लेकर बड़ा कदम उठाया है. बैंक ने होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदल दी है.
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने ग्राहकों की सुविधाओं को लेकर बड़ा कदम उठाया है. बैंक ने होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदल दी है. मतलब साफ है कि अब आरबीआई के रेपो रेट (ब्याज दरें) घटाने के तुरंत बाद बैंक अपनी ब्याज दरें कम कर देगा. वहीं, बढ़ने पर तुरंत बढ़ जाएंगी. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी पॉलिसी में यह नियम बदलने का फैसला लिया था.
एक मई से लागू होगा नियम- एसबीआई ने देर शाम एक बयान में कहा कि नई दरें एक मई से प्रभावी होंगी. इस कदम से रिजर्व बैंक के नीतिगत दर (रेपो रेट) में कटौती का फायदा तत्काल प्रभाव से ग्राहकों को मिलेगा. रिजर्व बैंक, बैंकों के साथ बार-बार इस मुद्दे को उठाता रहा है कि वह जितना रिपो रेट में कटौती करता है, बैंक उतना लाभ अपने ग्राहकों को नहीं देते.
एसबीआई ने अपने बयान में कहा, 'आरबीआई के नीतिगत दर में बदलाव त्वरित रूप से ग्राहकों को देने के मसले के हल के लिये एक मई 2019 से हमने बचत बैंक जमा तथा अल्पकालीन मियादी कर्ज के लिये ब्याज दर को रिजर्व बैंक की रीपो दर से जोड़ने का निर्णय किया है. (ये भी पढ़ें-SBI के इस अकाउंट में मिलेगा डबल ब्याज, जानें इसके बारे में)
ग्राहकों पर क्या होगा असर-
>> इस कदम से सभी जमाकर्ताओं को लाभ नहीं होगा, क्योंकि नई दर उन्हीं खातों पर लागू होगी जिनके खातों में एक लाख रुपये से अधिक राशि होगी.
>> रेपो रेट इस समय 6.25 प्रतिशत है. केंद्रीय बैंक ने सात फरवरी को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है.
>> बैंक ने कहा कि वह एक लाख रुपये से अधिक के जमा पर ब्याज को रेपो रेट से जुड़ेगा. फिलहाल इस पर ब्याज 3.5 प्रतिशत है जो मौजूदा रेपो दर से 2.75 प्रतिशत कम है. इस मतलब साफ है कि जिस ग्राहक के खाते में एक लाख रुपये होंगे. उसे ही इसका फायदा मिलेगा.
>> बैंक ने सभी नकद कर्ज खातों और एक लाख रुपये से अधिक की ओवरड्राफ्ट सीमा वाले खातों को भी रेपो रेट जमा 2.25 प्रतिशत की दर से जोड़ दिया है.
आरबीआई का फैसला- भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के लिए विभिन्न कैटेगरी की फ्लोटिंग ब्याज दरें अब एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्ड होंगी. RBI ने MCLR को एक्सटर्नल बेंचमार्क से रिप्लेस करने का प्रस्ताव किया है. RBI ने डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज के अपने बयान में प्रस्ताव किया है कि 1 अप्रैल 2019 से बैंक मौजूदा इंटरनल बेंचमार्क सिस्टम जैसे प्राइम लेंडिंग रेट, बेस रेट, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की जगह एक्सटर्नल बेंचमार्क्स का इस्तेमाल करेंगे. (ये भी पढ़ें-मोदी सरकार का किसानों को तोहफा! 3 लाख तक के कर्ज पर नहीं देनी होगी कोई फीस
रेपो रेट क्या है - जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे. रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं.
रिवर्स रेपो रेट क्या होता है-जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है. बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है.