दतिया। जिला वनमंडलाधिकारी (डीएफअाे) कार्यालय से दो दिन पहले जिले के सभी एसडीओ और रेंजराें काे जारी किया गया अंधविश्वास भरा पत्र चर्चा का विषय बन गया है। इस मैसेज में लिखा था कि साईबाबा का यह संदेश फारवर्ड करने पर प्रमोशन मिलता है और जो नहीं भेजता, उसका सब कुछ बर्बाद हो जाता है। बाद में गलती का अहसास होने पर डीएफओ प्रियांशी राठौर ने उसे निरस्त कर दिया।
डीएफओ में 22 अगस्त को एक बंद लिफाफे में कागज आया। इस पर लिखा था कि ये मैसेज सबको जरूर भेजना। एक औरत ने बीमारी की हालत में सपना देखा कि साई बाबा उसे पानी पिला रहे हैं। सुबह वह ठीक हो चुकी थी। एक आॅफिसर ने इस एसएमएस को लाेगों तक भेजा तो उसे प्रमोशन मिल गया।
यह कागज डीएफओ प्रियांशी राठौर के पास पहुंचा। उन्होंने इस पर रिसीविंग हस्ताक्षर भी कर दिए। हस्ताक्षर होते ही कार्यालय के लिपिक बालकृष्ण पांडे ने पत्र पर वनमंडलाधिकारी की सील लगा कर इसे जिले के सभी एसडीओ और रेंजरों सहित विभाग के संबंधित लोगों को जारी कर दिया। संबंधित अधिकारियों के पास पत्र पहुंचा तो उन्हें अचंभा हुआ। किसी ने डीएफओ राठौर से चर्चा की, तब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने 27 अगस्त को एक पत्र जारी कर संबंधित मैसेज को निरस्त मानने की बात लिखी।
डीएफओ बोलीं- लिपिक की गलती:-
डीएफओप्रियांशी राठौर का कहना है कि कार्यालय में आने वाले हर पत्र पर हमें रिसीविंग देनी होती है। इसी क्रम में इस कागज को पढ़ने के बाद उस पर हस्ताक्षर हो गए। हालांकि हस्ताक्षर के बाद मैंने लिपिक पांडे से इसे अलग करने के लिए बोल दिया था। लेकिन पांडे ने इसे जारी कर दिया।