हेल्थ डेस्क। सुबह तरोताजा होकर उठना किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नींद की कमी केवल दिनभर आलस लाने का ही काम नहीं करती, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर देती है। स्लीप एप्निया ऐसा ही एक खतरा है जिसे लेकर सचेत होना जरूरी है।
क्या है समस्या? यह एक बहुत आम डिसॉर्डर है जो जिसमें व्यक्ति को पता चले बिना नींद में ही उसकी सांसे रुक जाती हैं। ऐसा गहरी नींद के दौरान कुछ क्षणों के लिए बीच में होता है। नींद में सांस रुकने की यह स्थिति 10 सेकेंड्स से एक मिनिट तक के लिए हो सकती है। ऐसा पूरी नींद के दौरान हर एक घंटे में 50 से भी ज्यादा बार और पूरी रात में 300- 500 बार तक हो सकता है।
यह बात हमेशा दिमाग में रखें कि नींद एक प्राकृतिक और सामान्य प्रक्रिया है। ठीक जैसे आपको भूख-प्यास लगती है, उसी तरह आपकी नींद का चक्र भी संतुलित होना चाहिए। नींद की जरूरत हो सकता है लोगों के लिए भिन्न-भिन्न हो लेकिन आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है। इसलिए इसमें कटौती न करें।
अपने साथ रहने वालों, परिजनों आदि से पूछें कि क्या आप नींद में कोई ऐसा लक्षण दर्शाते हैं जो अजीब हो, जैसे बहुत तेज खर्राटे, अचानक सांस टूटने से झटके के साथ जाग जाना, सांस लेते समय पेट का अजीब तरह से हिलना, मुंह या नाक से घरघराहट जैसी आवाज आना, आदि।
डॉक्टर से अपनी नींद के पैटर्न को लेकर तमाम बिंदुओं पर बात करें। उदाहरण के लिए- उन्हें बताएं कि आपके गद्दों या तकिये का प्रकार क्या है, क्या आप भोजन के तुरंत बाद सो जाते हैं, रात को कितनी बार आपकी नींद टूटती है और उसके बाद फिर नींद आने में कितना वक्त लगता है, क्या आप नींद के लिए किसी प्रकार की दवाई का सेवन रोज करते हैं, आप किस तरह सोते हैं पेट के बल या पीठ के बल, आदि।
इन सबके आधार पर डॉक्टर आपकी समस्या के स्तर का पता लगाते हैं और स्लीप टेस्ट करते हैं। फिर इलाज प्रारंभ किया जाता है। यह हमेशा याद रखें कि जितनी जल्दी आप इलाज प्रारम्भ करेंगे उतनी ही जल्दी इस समस्या में राहत मिल पायेगी। सही इलाज मिलने से इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।