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Friday, October 25, 2019

झाबुआ उपचुनाव:- इसलिये हुई कांतिलाल भूरिया की जीत और ये हैं भानू भूरिया की हार के कारण

झाबुआ। मध्‍यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए प्रतिष्‍ठापूर्ण मानी जा रही झाबुआ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्‍याशी कांतिलाल भूरिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के उम्‍मीदवार भानू भूरिया को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। जानिये क्‍या रहे कांतिलाल भूरिया की जीत और भानू भूरिया के हारण।
इसलिए जीते कांतिलाल भूरिया:-
जनता में एक ही नारा चल रहा था कि सरकार के साथ चलो और इस नारे को परिणाम ने सही साबित कर दिया है। इससे लगता है कि कमलनाथ सरकार के प्रति मतदाताओं ने भरोसा जताया चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार कमलनाथ सरकार यह कहती रही कि छिंदवाड़ा मॉडल पर झाबुआ का विकास करेंगे। झाबुआ को गोद ले लिया है। सरकार के इस वादे पर मतदाताओं ने भरोसा जताया। लोगों ने विकास के नाम पर ये वोट दिए हैं।
इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया पिछले पांच माह से चुनाव की तैयारियां कर रहे थे। बहुत पहले से ही यह तय हो गया था कि भूरिया चुनाव लड़ेंगे। झाबुआ विधानसभा हमेशा कांग्रेस का गढ़ रही है, यहां कांग्रेस फूट होने पर ही हारती है। इस बार एकता के साथ कांग्रेस ने चुनाव लड़ा तो उसे आसानी से जीत मिल गई। कार्यकर्ता भी गांव-गांव में कांग्रेस के झंडे को लहराने के लिए मेहनत कर रहे थे।
भानू भूरिया की हार के कारण:-
चुनाव प्रचार में भानू भूरिया अकेले पड़ गए। अभी तक उन्हें जनपद पंचायत लड़ने के अलावा कोई चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं था। 2008 में निर्दलीय के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। उपचुनाव में उम्मीदवारी की घोषणा होते ही भाजपा में फूट पड़ गई थी। कई भाजपा नेता भानू से दूर रहे। केवल शिवराजसिंह चौहान ने अंतिम सप्ताह में आकर माहौल बनाया। इसके अलावा भाजपा का प्रचार अभियान जरा भी गति नहीं पकड़ पाया।
कल्याणपुरा व झाबुआ शहर जैसे गढ़ भाजपा के हाथ से निकल गए। बचाना तो दूर की बात है, इन गढ़ों के खिसकने की भाजपाइयों को भनक तक नहीं लगी। भाजपा का प्रचार अभियान पूरी तरह से कमलनाथ सरकार के कथित नकारात्मक पहलुओं पर रहा। जबकि जनता सकारात्मकता की ओर जाना चाहती थी इसलिए उन्होंने सीधे कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
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अब तक ये बने विधायक वर्ष:-
1952जमुना देवी2311सोशलिस्ट पार्टी
1957सुरसिंह भूरिया5490कांग्रेस
1962मानसिंह 7372सोशलिस्ट पार्टी
1967बापूसिंह डामोर6015कांग्रेस
1972गंगाबाई2271कांग्रेस
1977बाबूसिंह डामोर4046कांग्रेस
1980बापूसिंह डामोर10794कांग्रेस
1985बापूसिंह डामोर10136कांग्रेस
1990बापूसिंह डामोर16136कांग्रेस
1993बापूसिंह डामोर25778कांग्रेस
1998स्वरुपबेन भाबोर19634कांग्रेस
2003पवेसिंह पारगी18375भाजपा
2008जेेवियर मेड़ा18751कांग्रेस
2013शांतिलाल बिलवाल15858भाजपा
2018गुमानसिंह डामोर10457भाजपा