भोपाल। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर राज्य सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। नई रेत नीति आने के बाद भी रेत का कारोबार चोरी-छिपे चल रहा है। न तो कारोबारियों ने रेत का स्टॉक बताया है और न ही जिला प्रशासन का अमला सत्यापन करने पहुंचा है।
जबकि कारोबारियों को नीति जारी होने के सात दिन में स्टॉक बताना जरूरी था। इतना ही नहीं, जिला प्रशासन को स्टॉक का सत्यापन करना था। यही कारण है कि राजधानी में ही सैकड़ों डंपर रेत आ रही है। ये डंपर रात में साइटों पर पहुंचते हैं।
राज्य सरकार ने 30 अगस्त को नई रेत नीति जारी की है। नीति में कारोबारियों को सात दिन में स्टॉक बताने की शर्त थी। ऐसा नहीं करने पर जिला प्रशासन को कार्रवाई करना थी। इसमें स्टॉक जब्त भी किया जा सकता था, लेकिन नीति जारी हुए 32 दिन गुजर गए, कारोबारियों ने स्टॉक नहीं बताया है।
माइनिंग कार्पोरेशन के अफसरों ने इसकी पुष्टि की है। वहीं कलेक्टरों ने भी स्टॉक जांचने की कोशिश नहीं की। यानी अफसरों की सांठगांठ से रेत का कारोबार बदस्तूर चल रहा है। कार्पोरेशन के सूत्र बताते हैं कि अभी भी कई जिलों के अफसरों को पता ही नहीं है कि रेत के स्टॉक करने वालों के पास कितनी रेत है। जबकि रेत का स्टॉक पता होने के बाद ही ट्रांजिट परमिट (टीपी) जारी की जाना थी।
एक माह में नहीं आया रेत का संकट:-
प्रदेश में अति वर्षा के चलते नदी-नाले उफान पर हैं। इस कारण रेत उत्खनन पर अघोषित रोक लगी है। फिर भी रेत का संकट नहीं आया। इससे पता चलता है कि कारोबारियों से बारिश से पहले ही अच्छा खासा स्टॉक कर लिया था।
गर्मियों में 2200 से तीन हजार रुपए प्रति सौ फीट मिलने वाली रेत वर्तमान में पांच हजार रुपए की सौ फीट बेची जा रही है। इस खुले मुनाफे पर भी किसी की रोक नहीं है। इतना ही नहीं, उपभोक्ता पूरी राशि देकर भी 70 फीट रेत ले रहा है। खुली रेत बेचने वाले कारोबारियों ने 70 फीट की ट्राली बना रखी हैं। वे सौ फीट रेत देना बताकर 70 फीट देते हैं और राशि पूरी सौ फीट की लेते हैं।
टेंडर पर भी नहीं हो रहा निर्णय:-
सरकार रेत खदानों की नीलामी के लिए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया भी फाइनल नहीं कर रही है। खनिज साधन विभाग करीब 15 दिन पहले यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज चुका है। जिस पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में नए ठेकेदारों के सामने कई समस्याएं खड़ी होंगी। जब बाजार में रेत की खासी मांग होगी, वे माइनिंग प्लान और प्रदूषण निवारण मंडल से एनओसी लेने में व्यस्त रहेंगे।
संभागायुक्त ने अब होमगार्ड के जवान लगाए:-
जानकार बताते हैं कि रेत को लेकर चांदी काट रहे कारोबारियों ने जब स्टॉक का बड़ा हिस्सा बेच दिया, तब सभी संभागों में निरीक्षण दल के साथ होमगार्ड के जवान लगाए गए हैं। संभाग स्तर पर गठित दल में पांच से छह जवान रहेंगे। यह दल स्टॉक की जांच करेगा।
सत्यापन पूरा हुआ:-
अधिकांश जिलों में सत्यापन पूरा हो गया है, हालांकि स्टॉकिस्टों के लिए प्रदूषण निवारण मंडल की मंजूरी लेने के नए नियम में समय जरूर लग रहा है।
- नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, खनिज साधन विभाग-