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Thursday, October 3, 2019

जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए ITBP डीजी ने हिमालय की चोटियों में की 103 KM पैदल यात्रा, बनाया ये रिकॉर्ड

शिमला. आमतौर पर किसी खास जगह जहां पर जवानों की तैनाती रहती है, वहां उच्च अधिकारी और मंत्री जाते हैं और उसी जगह से वापस चले आते हैं. यह जगह दूरदराज, ऊंची चोटियों और सीमावर्ती इलाकों में स्थित सेना और अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) की चौकियां होती हैं, लेकिन खुद पैदल चलकर जब फोर्स का सबसे आला अधिकारी जवानों से मिलने उनकी चौकियों पर आ पहुंचे तो जाहिर सी बात है कि उनका हौसला तो बढ़ेगा ही. साथ ही स्वच्छता जैसे अहम मुद्दों पर भी जवानों को जागरूक करे तो वह इलाका और बेहतर बन जाएगा. यह अनोखी पहल आईटीबीपी डीजी एसएस देसवाल (ITBP DG SS Deswal) ने की है.
जवानों से मिलने के लिए तीन दिन किया सफर:-
डीजी आईटीबीपी एसएस देसवाल ने जवानों से मिलने के लिए हिमालय (Himalayas) में 103 किलोमीटर चढ़कर पहुंचे. यह सफर उन्होंने 3 दिन में तय किया जो कि 12 सितंबर को शुरू हुआ और 15 सितंबर को खत्म हुआ. उस दौरान उन्होंने इलाके में प्लास्टिक वेस्ट को भी साफ करने की मुहिम की शुरुआत की, जिसके बाद 2 अक्टूबर से देशभर में तैनात आइटीबीपी की चौकियों के आसपास के इलाकों को प्लास्टिक फ्री वेस्ट इलाका बनाया जाएगा.
ऐसे शुरू किया सफर:-
देसवाल ने पिछले दिनों हिमाचल के किन्नौर के आसपास का इलाका था जहां से 103 किलोमीटर ट्रैक किया और वह जवानों की चौकी तक गए. उनके साथ आईटीबीपी मुख्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी थे. इस दौरान डीजी ने उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्तों और कई उफनती नदियों को भी पार किया. यह पूरा इलाका हाई एल्टीट्यूड के प्रभाव क्षेत्र का था जहां भले ही ऑक्सीजन कम होती है, लेकिन बल के जवानों में बहुत जोश होता है. आपको बता दें कि देसवाल आइटीबीपी के पहले ऐसे डीजी हैं जिन्होंने किसी एक दौरे में लगातार इतनी लंबी दूरी पैदल तय की है.
देसवाल आइटीबीपी के पहले ऐसे डीजी हैं जिन्होंने किसी एक दौरे में लगातार इतनी लंबी दूरी पैदल तय की है.
इससे पहले किया था ये काम:-
इसके पूर्व वे इसी साल जून में लिपुलेख दर्रे पर भी पैदल जा चुके हैं और जुलाई में 42 किलोमीटर पैदल चलकर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में लगे आईटीबीपी जवानों की पीठ थपथपाई थी. जबकि वहां भी हौसला अफजाई के अलावा प्लास्टिक वेस्ट के सफाई के अभियान की शुरुआत की गई थी. डीजी स्तर के अधिकारी का पैदल चलकर इन दूरदराज के इलाकों में जाना यह जाहिर करता है कि जवानों का तो हौसला बढ़ेगा ही साथ ही खुद आला अधिकारियों को भी यह महसूस होगा कि किन विषम परिस्थितियों में यह जवान तैनात रहते हैं और उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए.