नई दिल्ली. मुंबई में जन्मी फैशन डिजाइनर अनीता डोंगरे आज दुनियाभर में चर्चित है. अनीता ने 2 सिलाई मशीनों से अपना बिज़नेस शुरू किया था और आज उन्हीं दो सिलाई मशीन के बदौलत वो ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी हैं कि वह किसी परिचय की मोहताज नहीं है. अपनी प्रतिभा तथा कौशल के दम पर उन्होंने अपना फैशन बिजनेस खड़ा कर लिया है. आज उनके डिजाइन किए परिधान 4 ब्रांड्स 'एंड', 'ग्लोबल देसी', 'अनीता डोंगरे' तथा 'अनीता डोंगरे ग्रासरूट' के तहत दुनियाभर में बिकते हैं. लगभग 30 सालों से फैशन जगत में सक्रिय अनीता ने हाल ही में अपने ब्रांड के 2 दशक भी पूरे कर लिए हैं. देश में बिजनेस की दुनिया की टॉप महिलाएं अरबों डॉलर की डील करने के साथ ही नए बिजनेस शुरू कर रही हैं. वे कंपनियों का अधिग्रहण कर रही हैं और ब्रांडों का निर्माण कर रही हैं. अनीता 2017 की सबसे ताकतवर बिजनेस वीमेन में शुमार हैं. जानिए इनके सफ़र की कहानी.
20 साल पहले शुरू किया था ये बिजनेस:-
अनीता का कहना है कि मैंने अपना ब्रांड करीब 20 साल पहले शुरू किया था लेकिन मैं फैशन बिजनेस में 30 सालों से हूं. मैंने सबसे पहले घर से काम किया था. मेरी शुरूआत बहुत छोटी थी. मैंने मुंबई के एसएनडीटी बुमन्स यूनिवर्सिटी से डिजाइनिंग की पढ़ाई पूरी की. जब मैंने खुद का फैशन बिजनेस शुरू करने का फैसला किया तो मैंने अपने घर की बालकनी में अपनी छोटी-बहन के साथ मिलकर 2 सिलाई मशीनों से काम शुरू किया था.
अब करती हैं काम 2000 लोगों के साथ:-
अनीता बताती हैं कि उन्हें डिजाइनों से प्यार था. लगभग 30 साल पहले एक मास्टर जी और दो टेलरों के साथ बैठकर किसी नए डिजाइन पर सोच-विचार किया करती थी. मेरा काम आज भी लगभग वही है. बस फर्क यह है कि आज मैं लगभग 2000 लोगों के साथ काम कर रही हूं.
1999 में लांच हुआ था पहला फैशन लेबल:-
मेरे पहले फैशन लेबल का नाम था 'मास'. इसे मैंने अपनी छोटी बहन के नाम पर रखा था लेकिन उस वक्त कोई भी स्टोर मेरे लेबल के नाम पर कपड़े नहीं बेच रहा था. वास्तव में मेरा पहला ब्रांड 1999 में लांच हुआ था. तब अनीता ब्रांड पहला था, जिसने सिंपल ट्राऊजर जैसी ड्रैसेज महिलाओं के लिए तैयार करनी शुरू की. ये परिधान उन महिलाओं के लिए थे जो कामकाजी थी, सफर करती थी. वे ऐसे कपड़े पहनना चाहती थी, जो उन्हें ग्लोबल लुक दें.
एग्जीबिशन के पैसों से खरीदी गई थी पहली सिलाई मशीनें:-
कॉलेज में पढ़ते वक्त ही अनीता 2 फैशन एग्जीबिशन कर चुकी थी. जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें कुछ पैसे दिए. तब वो 5000 रुपए से एक कलैक्शन बना पाई जिसे मुंबई के एक बुटीक को भेज दिया गया. वह कलेक्शन एक ही हफ्ते में सारा बिक गया. उनका मानना है कि नई-नई डिजाइन्स के कपड़े तैयार करना और लोगों को आपके कपड़े पहने हुए देखना एक अलग ही अहसास है.