भोपाल/ हनीट्रैप मामले में दाखिल चार्जशीट पर कई सवाल उठ रहे हैं। उस चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि एक आईएएस अधिकारी ने वीडियो के बदले में एक करोड़ रुपये दिए। जिसे तीन लोगों ने आपस में बांट लिए। लेकिन उस आईएएस अधिकारी के नाम नहीं बताए गए है। ऐसे में सवाल है कि क्या जांच कर रही टीम किसी के दबाव में उस अफसर का बचाव कर रहा है जो रंगरेलियां मनाने के बदले में एक करोड़ रुपये दे दिए।
दरअसल, पुलिस ने चार्जशीट में आईएएस के द्वारा एक करोड़ रुपये दिए जाने की बात हनीट्रैप मामले की आरोपी मोनिका से मिली जानकारी के आधार पर लिखी है। मोनिका ने उसमें यह कहा भी है कि उसे नाम नहीं पता। लेकिन पुलिस को उसने सुराग भी दिए कि उसका नाम कहां लिखा है। जब उसने ठिकाने बता दिए तो पुलिस ने फिर उस अधिकारी के नाम तक पहुंचने की कोशिश क्यों नहीं की। सवाल तो यह भी है कि आखिरी उसके पास ब्लैक में एक करोड़ रुपये देने के लिए आए कहां से।
ब्लैक ब्रीफकेस लेकर आए:-
मोनिका ने पुलिस को बताया था कि एक दिन श्वेता विजय जैन और आरती दयाल घर से जरूरी काम के नाम पर निकले। फिर करीब शाम तीन बजे तक लौटकए आए तो ये लोग तीन थे। जिसमें श्वेता विजय जैन, आरती दयाल और पत्रकार गौरव शर्मा। दो ब्लैक ब्रीफकेस में तीनों पैसे लेकर आए थे, जिसे एक कमरे में बैठ तीनों ने आपस में बंटवारा किया।
IAS अफसर ने दिए:-
आरती दयाल ने बाद में मोनिका को इस बात की जानकारी दी कि यह पैसे एक आईएएस अफसर ने दिए हैं। ब्रीफकेस में करीब एक करोड़ रुपये थे। हालांकि मोनिका ने जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को कहा कि उसे अफसर के नाम की जानकारी नहीं है। आरती दयाल ने उसे नाम नहीं बताए थे। लेकिन पुलिस को मोनिका सुराग जरूर दिए थे कि उनके नाम कहां मिलेंगे।
पिंक डायरी और ब्लैक फोन में नाम:-
मोनिका ने पुलिस से कहा कि उस बड़े IAS अफसर का नाम और नंबर आरती दयाल के ब्लैक फोन में सेव है। वह ब्लैक फोन वन प्लस का है। साथ ही मोनिका ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि आरती की पिंक कलर डायरी में भी इस अधिकारी का नाम है, जिसका का नाम कोडवर्ड में लिखा है। मगर पुलिस ने चार्जशीट में उस अधिकारी का नाम उजागर नहीं किया। बल्कि बीस लाख रुपये देने वाले आईएएस अधिकारी पीसी मीणा का नाम उल्लेख किया है।
किसके इशारे पर अधिकारी को बचा रही पुलिस:-
पुलिस को मोनिका ने इतने सुराग जरूर दे दिए थे, जिसके आधार पर उस IAS अफसर का नाम आसानी से जान सकती थी। यहीं नहीं पुलिस ने आरती दयाल को भी रिमांड पर लिए थे, उससे भी पूछताछ कर यह जानकारी हासिल कर सकती थी। लेकिन सवाल है क्या जांच टीम पर किसी तरह का दबाव है। जो इन सफेदपोशों को बचा रही है। क्योंकि कई ऐसे नाम हैं, जिनसे पूछताछ नहीं हुई। वहीं, श्वेता विजय जैन से दोस्ती के कारण उसके पड़ोस में रहने वाली तीन महिलाओं से पूछताछ हुई। क्योंकि वो रसूखदार नहीं थे।