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Monday, December 9, 2019

MP: संगठन चुनाव के दौरान सतह पर आई भाजपा की अंदरूनी राजनीति, पढ़िए यह इनसाइड स्टोरी

भोपाल. क्या बीजेपी संगठन में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि जिलाध्यक्षों के लिए 30 नवंबर को रायशुमारी कर चुकी बीजेपी अब तक अपने सभी जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान नहीं कर पाई है. अलबत्ता इतना जरूर है कि जितने नामों का ऐलान हुआ है उससे प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. सियासी जानकार इसे बीजेपी में बदलाव की आहट के रूप में भी देख रहे हैं. दरअसल, पार्टी में जिलाध्यक्षों के लिए रायशुमारी होने के 8 दिन बाद भी सभी नामों का ऐलान न हो पाना कुछ इसी तरफ इशारा करता है.
33 जिलाध्यक्षों के नाम की ही घोषणा:-
52 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्षों की रायशुमारी के बाद पहली सूची में पार्टी ने केवल 33 जिलाध्यक्षों के नामों का ही ऐलान किया है. 19 नामों का ऐलान बाकी है. सूत्रों की मानें तो भोपाल, इंदौर समेत 19 संगठनात्मक जिलों में बड़े नेताओं के बीच एक राय नहीं बन पाने की वजह से जिलाध्यक्ष के नामों की घोषणा नहीं हो सकी है. पार्टी विधान के मुताबिक कुल संगठनात्मक जिलों में 50 फीसदी में जिलाध्यक्षों का निर्वाचन होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. इस लिहाज से 57 संगठनात्मक जिलों में से 52 पर निर्वाचन की प्रक्रिया हुई थी, जिसमें से 33 जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की तारीखों का ऐलान हो सकता है. हालांकि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान पार्टी में मचे सियासी घमासान पर कांग्रेस ने निशाना साधा है.
प्रदेश अध्यक्ष के लिए दावेदारी:-
पहले जिलाध्यक्षों के नाम पर पेंच और अब प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की कवायद? बीजेपी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर दावेदारों की संख्या भारी पड़ रही है. जिलाध्यक्षों के साथ प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन में नेताओं के बीच शक्ति प्रदर्शन आखिर किस मोड़ पर जाकर खत्म होगा, इसको लेकर अभी कुछ कहना मुश्किल है. बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों पर एक नज़र डालें तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के अलावा जो नाम दावेदारी में आगे हैं, उनमें प्रमुख रूप से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, राज्यसभा सांसद प्रभात झा, पूर्व संसदीय कार्यमंत्री मंत्री नरोत्तम मिश्रा और खजुराहो सांसद बीडी शर्मा शामिल हैं.
शिवराज का दांव:-
सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इस पद के इच्छुक हैं. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपनी ओर से आश्वस्त किया है कि यदि पार्टी उन्हें मौका देती है तो वे प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए सबसे कठिन चुनौती साबित होंगे. जहां तक पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह की बात है तो पार्टी के सूत्र बताते हैं कि उनका नाम भी शिवराज सिंह चौहान ने ही आगे बढ़ाया है. शिवराज के ये दांव अचूक माने जा सकते हैं क्योंकि नेता प्रतिपक्ष पर ब्राह्मण होने के बाद इस बात की संभावना कम है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी किसी ब्राह्मण चेहरे को बैठाएगी, लिहाज़ा शिवराज का पलड़ा भारी है.
क्या प्रदेश अध्यक्ष को बदलेगी बीजेपी:-
हालांकि बीजेपी की पार्टी लाइन के मुताबिक आमतौर पर जो प्रदेश अध्यक्ष नॉमिनेटेड होता है, उसे निर्वाचन का मौका मिलता है. इस लिहाज से देखें तो राकेश सिंह का दावा मजबूत है. लेकिन जिस तरह प्रदेश में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और राकेश सिंह के बीच मतभेद सामने आए हैं और बीजेपी को प्रदेश की सत्ता से बाहर होना पड़ा, उसे देखते हुए क्या केंद्रीय आलाकमान प्रदेश बीजेपी के सेनापति के नाम पर कोई बड़ा बदलाव करेगा ये देखने वाली बात होगी.