भोपाल। एयरफोर्स के विंग कमांडर कुलदीप वाघेला ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बनकर मोबाइल पर बात की। वाघेला ने राज्यपाल को आदेशात्मक लहजे में अपने मित्र डॉ. चंद्रेश कुमार शुक्ला को जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का कुलपति बनाने को कहा। गड़बड़ी की आशंका पर दिल्ली में गृह मंत्री शाह के बंगले पर इस फोन के बारे में सत्यापन कराया गया। फोन शाह के यहां से नहीं किए जाने पर मामला एसटीएफ को सौंपा गया। इसके बाद दिल्ली में पदस्थ विंग कमांडर कुलदीप वाघेला और डॉ. चंद्रेश कुमार शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मप्र में राजभवन फोन लगाकर मित्र को जबलपुर के आयुर्विज्ञान विवि का कुलपति बनाने को कहा:-
एसटीएफ एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) अशोक अवस्थी ने बताया कि जबलपुर के मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए कई लोगों ने बायोडाटा दिए थे। कुलपति चयन के लिए सर्च कमेटी ने साक्षात्कार भी लिए थे। इसमें भोपाल के साकेतनगर में रहने वाले डेंटल सर्जन डॉ. चंद्रेश कुमार शुक्ला भी शामिल थे। चयन प्रक्रिया के बीच डॉ. शुक्ला ने अपने मित्र और एयरफोर्स में विंग कमांडर कुलदीप वाघेला से चर्चा की। शुक्ला ने वाघेला से कहा कि कुलपति बनने के लिए किसी बड़े व्यक्ति से फोन कराना पड़ेगा। दोनों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से राज्यपाल की बात कराना तय हुआ। बाद में दोनों ने खुद ही शाह बनकर राज्यपाल से बात करने की साजिश रची।
फोन पर दो मिनट 14 सेकेंड बात हुई:-
अवस्थी के मुताबिक, चंद्रेश और वाघेला के बीच तीन जनवरी को बात हुई। चंद्रेश ने राजभवन फोन लगाकर शाह के बंगले से बात करने का हवाला दिया। राजभवन के कर्मचारी को बताया कि मंत्रीजी राज्यपाल से बात करना चाहते हैं। राज्यपाल टंडन के लाइन पर आते ही विंग कमांडर ने उनसे खुद को शाह बताकर बात की। राज्यपाल से कहा कि जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉ. चंद्रेश कुमार शुक्ला की कुलपति के रूप में नियुक्ति होना है। करीब दो मिनट 14 सेकंड की चर्चा के बाद कॉल डिस्कनेक्ट हो गया। कॉल पर संदेह होने पर राज्यपाल ने अपने स्टाफ को शाह के बंगले से फोन आने का सत्यापन करने को कहा। दिल्ली में मंत्री शाह के बंगले से बताया गया कि तीन जनवरी को भोपाल में राजभवन को कोई फोन नहीं लगाया गया। इसके बाद आठ जनवरी को मामला एसटीएफ को सौंपा गया।
वाघेला की गिरफ्तारी में कई घंटे लगे:-
सूत्रों के अनुसार, चंद्रेश के कॉल रिकॉर्ड में सामने आया कि जिस समय राजभवन के फोन पर कथित रूप से शाह की बात हुई थी, उसी समय उसकी विंग कमांडर वाघेला से चर्चा हुई। इसके आधार पर एसटीएफ ने दिल्ली स्थित एयरफोर्स हेडक्वार्टर में पदस्थ वाघेला की गिरफ्तारी के लिए टीम भेजी, लेकिन वहां उसे पकड़ने के लिए कई घंटे लगे। सेना के उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद वाघेला को एसटीएफ की टीम भोपाल लाई। एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
भोपाल राजभवन में एडीसी रहा वाघेला:-
जानकारी के मुताबिक, वाघेला पूर्व राज्यपाल स्व. रामनरेश यादव के कार्यकाल में भोपाल स्थित राजभवन में एडीसी (परिसहाय) था। 2014 में उसकी पोस्टिंग राजभवन में थी, उसी दौरान वाघेला की डॉ. चंद्रेश से मित्रता हुई थी।