Breaking

Saturday, March 21, 2020

आखिर 459 दिन में ही क्यों गिर गई कमलनाथ सरकार..? जाने क्या है कारण

भोपाल. 15 साल लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता मिली थी लेकिन 459 दिन बाद ही कमलनाथ की सरकार गिर गई। 17 दिसंबर 2018 को कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। उसी समय से भाजपा दावा कर रही थी कि ये सरकार बहुत दिन तक नहीं रह पाएगी। हुआ भी वही। 20 मार्च 2020 को फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा देने का एलान कर दिया।
दरअसल, इस कहानी का पटकथा ऐसा नहीं है कि अचानक लिखी गई। बिल्कुल नहीं, बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी और सिर्फ समय का इंतजार किया जा रहा था। इसको जानने समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा। वो तारीख थी 13 फरवरी 2020। जगह मध्य प्रदेश का टीकमगढ़। यहां एक सभा को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि जनता के मुद्दे को लेकर वो अपनी सरकार के खिलाफ भी सड़क पर उतर सकते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये बयान सियासी हलकों में बवाल मचा दिया और लगे हाथ दिल्ली में कमलनाथ ने भी आव देखा न ताव और बोल दिया कि 'उतर जाएं, रोका कौन है?' हालांकि सिंधिया सड़क पर तो नहीं उतरे लेकिन कमलनाथ सरकार बचाने के लिए कांग्रेस के नेता सड़क नापने लगे। भोपाल की सियासत गुरुग्राम से लेकर बेंगलुरु तक शिफ्ट होती रही। ड्रामा पल-पल बदलता रहा। इस पूरे घटनाक्रम में अगर कोई चुप रहा, वो थे 'महाराज'।
सिंधिया चुप तो जरूर थे लेकिन उनके समर्थक बोलते रहे, जमकर बोल रहे थे। इसके बावजूद कांग्रेस के नेता सिंधिया के चुप्पी को समझ नहीं पाये या समझने की कोशिश नहीं की। क्योंकि सिंधिया के समर्थक गाहे-बगाहे 'महाराज' के लिए सम्मानजनक पद की मांग कर रहे थे और पार्टी हर बार उसे दरकिनार करती रही। यही उपेक्षा सिंधिया के लिए वजूद की चुनौती हो गई, जो आज सबके सामने है और आखिरकार 459 दिन बाद कमलनाथ सरकार को जाना पड़ा।