Breaking

Monday, March 16, 2020

मध्य प्रदेश में सदन पर हावी रहेंगी परिस्थितियां, सियासत और मजबूरियां, क्या कहते है जानकर

भोपाल। मध्य प्रदेश में चल रहा सत्ता का संघर्ष और राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर दिए गए फ्लोर टेस्ट के निर्देश से अब सबकी नजरें सरकार के बहुमत परीक्षण पर टिक गईं हैं। इस मुद्दे पर विधिवेत्ताओं का कहना है कि कुछ भी हो सकता है। राज्यपाल के पत्र में कई संकेत भी छिपे हैं। मौजूदा परिस्थितियों में फ्लोर टेस्ट (शक्ति परीक्षण) ही एकमात्र समाधान है, लेकिन सदन की परिस्थितियां, राजनीति और दलगत मजबूरियां भी हावी रहेंगी। सदन में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका ही निर्णायक रहेगी। मध्य प्रदेश में पिछले दो सप्ताह से सत्ता को लेकर चल रही उठापटक का मामला राज्यपाल के हस्तक्षेप बाद अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। देश के प्रसिद्ध विधिवेत्ताओं ने मौजूदा घटनाक्रम से लेकर राज्यपाल टंडन के पत्र और तकनीकी पहलुओं पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रख्यात विधिवेत्ता सुभाष कश्यप, पूर्व महाधिवक्ता रविनंदन सिंह, जस्टिस आरके गुप्ता, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा व एडवोकेट पंकज दुबे ने भी सियासी घटनाक्रम पर राय दी है।
देश के प्रसिद्ध विधिवेत्ताओं ने राज्यपाल के पत्र और तकनीकी पहलुओं पर रखा अपना मत:-
फ्लोर टेस्ट ही विकल्प मौजूदा परिस्थितियों में राज्यपाल के पास 'फ्लोर टेस्ट' ही एक विकल्प था। अभिभाषण के बाद बहुमत का परीक्षण हो जाएगा। राज्यपाल ने अपने पत्र में व्यवस्थाओं को लेकर स्पष्ट निर्देश भी दिए हैं। 
-रविनंदन सिंह, जबलपुर-
कई बड़े कदमों का आधार राज्यपाल विधानसभा के भी प्रमुख हैं। वह निर्देश दे सकते हैं, लेकिन सदन का मुखिया विधानसभा अध्यक्ष है। राज्यपाल ने अपने पत्र में सरकार के अल्पमत की बात कहकर अगले कई बड़े कदमों का आधार बना दिया है। 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव और 31 मार्च के पहले बजट पास कराने की बाध्यता है। पत्र में कई संकेत भी हैं जो महत्वपूर्ण हैं।
-सुशील त्रिवेदी, रायपुर:-
सदन स्वयं अपना मालिक संविधान के अनुच्छेद 175 (2) के तहत राज्यपाल संदेश भेज सकते हैं। सदन को इस पर समादर के साथ विचार करना चाहिए। संवैधानिक परिस्थितियां, राजनीति और मजबूरियां क्या कहती हैं, यह अलग बात है। बंधक विधायकों के मुद्दे पर 'हैबियस कार्पस पिटीशन' (बंदी प्रत्यक्षीकरण, जिसमें कोर्ट बंधक या लापता व्यक्ति को पुलिस को पेश करने का आदेश देती है) भी दाखिल हो सकती है। 
-सुभाष कश्यप, दिल्ली-
पत्र के ड्राफ्ट पर सवाल राज्यपाल ने अपने पत्र में अल्पमत की बात स्पष्ट लिख दी है। पत्र के ड्राफ्ट को लेकर कुछ सवाल भी हैं। पत्र में दिया गया संदेश विधानसभा की कार्यसूची में आना चाहिए जो कि सभा के समक्ष रखा जाएगा। मौजूदा समय में मंत्री पीसी शर्मा ने जिस तरह कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तैयारियों का ब्योरा दिया है, उससे सदन की कार्रवाई को लेकर भी संशय हैं। 
-देवेंद्र वर्मा, रायपुर-
शक्ति परीक्षण ही एकमात्र उपाय राज्यपाल ने माना सरकार अल्पमत में राज्यपाल के पास निहित शक्तियां हैं, उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि सरकार अल्पमत में है। इसके बाद सरकार रह नहीं जाती, बहुमत का परीक्षण ही एकमात्र उपाय है। इसके बाद जैसी परिस्थितियां सामने आएंगी राज्यपाल अगली कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। 
-पंकज दुबे, एडवोकेट, जबलपुर-
बहुमत का मामला संदिग्ध राज्यपाल को भाजपा द्वारा सौंपे गए ज्ञापन और 22 विधायकों द्वारा इस्तीफे की पेशकश से सरकार के बहुमत का मामला संदिग्ध हो गया था। छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद बहुमत का परीक्षण ही सही विकल्प था। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी यही कहता है। 
-जस्टिस आरके गुप्ता, जबलपुर-