नई दिल्ली। चीन से फैली कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में 35 लाख 80 हजार लोग से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं, वहीं, अब तक दो लाख 52 हजार लोगों की मृत्यु हो चुकी है। संक्रमण की चेन तोड़न के लिए लोगों को घरों में रहने को कहा जा रहा है और दुनिया के कई देशों में लॉक डाउन किया गया है। अमेरिका जैसी महाशक्ति भी इस वायरस के संक्रमण की वजह से घुटनों पर आ गई है।
लोगों का व्यवसाय, नौकरियां सब बंद हैं और भविष्य को लेकर हर किसी के मन में आशंका है कि आगे क्या होगा। इस बीच किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि भारत और जापान के लोग लॉक डाउन के बाद की स्थितियों को लेकर काफी घबराए हुए हैं।
दुनिया भर की सरकारें अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए लॉक डाउन खोलने के लाभ और हानि के बारे में विचार कर रही हैं। वहीं, लोगों में इस बात को लेकर चिंता है कि जब तक कि कोरोना वायरस का इलाज नहीं मिल जाता है या उस पर पूरी तरह से काबू नहीं कर लिया जाता है, तब तक लॉकडाउन को कैसे खत्म किया जाएगा।
इस बीच 14 देशों के एक इप्सोस सर्वेक्षण के डेटा से संकेत मिलता है कि केवल चार देशों (चीन, भारत, इटली, रूस) में covid-19 के साथ अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने के बहुमत का पक्ष अभी भी अप्राप्त है। वहीं, केवल दो देशों में (जर्मनी, इटली) अपने घरों को छोड़ने के बारे में "बहुत नर्वस" नहीं हैं। जो लोग कहते हैं कि वे वायरस के खत्म होने से पहले अपनी अर्थव्यवस्थाओं को फिर से शुरू करना चाहते हैं, उनमें से अधिकांश लोग घर छोड़ने के बारे में बहुत घबराए हुए हैं।
सर्वे के अनुसार, 72 फीसदी जापानी और 82 फीसदी भारतीय जब तक कोरोना वायरस का इलाज नहीं मिल जाता है, या देश में इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पा लिया जाता है, अपने घरों से नहीं निकलना चाहते हैं। इससे पता चलता है कि उन अर्थव्यवस्थाओं को भी इच्छुक कर्मचारियों की भारी कमी हो सकती है, जो फिर से अपने देशों में कामकाज पहले की तरह शुरू करना चाहते हैं।