ग्वालियर। कोरोना का असर आमजन पर तो पड़ा ही है, लेकिन मृत शरीर भी कोरोना का दर्द झेलने को मजबूर हैं। जेएएच प्रबंधन ने अस्पताल में इलाज के दौरान मौत होने पर सभी की कोरोना जांच को अनिवार्य कर दिया है, जिससे डेडहाउस में शवों का ढेर लग गया है। जबकि कोरोना की रिपोर्ट जल्दी नहीं आ रही है। इससे पीएम हाउस में तीन-तीन दिन से शव रखे हुए हैं। पहले से अपने के जाने का गम झेल रहे परिजन अब मौत के बाद भी उसका चेहरा नहीं देख पाने से बेहद दुखी हैं। हालत ये है कि लोग अपना गम दिल में छुपाए चेहरे पर मुस्कान बिखेरने को मजबूर हैं। क्योंकि घर पर अब तक किसी को बताया ही नहीं है कि उनका अपना उन्हें छोड़कर जा चुका है।
केस-1
न्यू साकेत नगर हजीरा निवासी आदित्य सेन उम्र 30 साल 8 मई की रात को सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। उनको इलाज के लिए जेएएच के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था। जहां 14 मई को उनका कोरोना का सैंपल लिया गया था। 15 मई की सुबह मौत हो गई थी। शव को पीएम हाउस पहुंचा दिया गया था। शनिवार तक शव परिजनों को नहीं मिला है।
लापरवाहीः-मृतक की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। इसलिए शव का पीएम तक नहीं हो सका है। रिपोर्ट आने के बाद ही डॉक्टर मृतक का पीएम करेंगे। ऐसे में रविवार को ही शव परिजनों को सौंपा जा सकेगा।
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केस-2
सोनू सखवार निवासी ग्राम भाईघाई का पुरा देवगढ़ मुरैना ने 12 मई को जहर खा लिया था। 13 को उसे हॉस्पिटल रोड स्थित वेदांश हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। यहां पर उसकी मौत हो गई। निजी नर्सिंग होम ने पीएम के लिए शव को जेएएच भेज दिया। पुलिस ने आकर डॉक्टर को बताया कि कोरोना की जांच हुई है। शनिवार तक परिजन रोजाना पीएम के चक्कर लगाते रहे। जब फोरेंसिक साइंस विभाग के एचओडी डॉ एस जुगरान को पता चला तो कैजुअल्टी से खुद ही रिकार्ड निकलवाया गया। पता चला कि कोरोना का सैंपल ही नहीं हुआ है। तब मृतक का पीएम करके शव परिजनों को सौंपा गया।
लापरवाहीः-निजी नर्सिंग होम या कैजुअल्टी को फॉर्म पर लिखना चाहिए था कि सैंपल नहीं हुआ है। साथ ही यह जानकारी पुलिस को भी डॉक्टर को देना जरूरी थी। डॉक्टर रोज रिपोर्ट चेक कर रहे थे, लेकिन मृतक का नाम नहीं होने के कारण शव का पीएम नहीं हो पा रहा था।
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इन मृतकों को भी पीएम का इंतजारः-
-14 मई को एक अज्ञात का शव तिघरा से पीएम हाउस पहुंचा है। कोरोना का सैंपल हुआ है, लेकिन रिपोर्ट नहीं आने के कारण शव अब तक रखा हुआ है।
-15 मई को कृष्णा की बीमारी से जेएएच में मौत हो गई थी। मृतका का कोरोना का सैंपल हुआ है, इसलिए रिपोर्ट आने तक शव पीएम हाउस में ही रखा गया है।
-15 मई को गीता की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। शव को पीएम हाउस में रखा गया था। सैंपल की रिपोर्ट नहीं आने के कारण पीएम अटका हुआ है।
-15 मई को रविन्द्र की भी हादसे में मौत हुई थी। सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही पीएम किया जाएगा। परिजन रोज चक्कर लगा रहे हैं।
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क्यों हो रही शवों की दुर्दशाः-
नहीं मान रहे आदेशः-शासन के स्पष्ट आदेश हैं कि कोरोना संदिग्ध के शवों को पीएम हाउस में नहीं रखवाया जाए। इसके बाद भी शव पीएम हाउस में रखवाए जा रहे हैं। जहां पर पर्याप्त फ्रीजर नहीं होने से शवों को खुले में रखना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में देरीः-जीआर मेडिकल कॉलेज स्थित वायरोलॉजी लैब से तीन-तीन दिन पुराने मामलों में भी जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है। जिससे डेडहाउस में शवों का ढेर बढ़ता जा रहा है।
शवों की संख्या बढ़ीः-आमतौर पर बीमार व्यक्ति का पीएम नहीं होता है। मगर कोरोना संकट के खतरे को देखते हुए बीमारी से मरने वालों की भी जांच कराई जा रही है। जेएएच में ही औसतन 5-7 मौत रोजाना होती है। ऐसे में शवों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
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4 फ्रीजर खराब, नहीं हुए रिपेयरः-जेएएच के पीएम हाउस में 12 फ्रीजर हैं। इसमें से 8 चालू और 4 बंद पड़े हैं। फोरेंसिक साइंस विभाग के एचओडी ने अब तक जेएएच प्रबंधन को कई पत्र लिखे हैं, फ्रीजर फिर भी चालू नहीं हो सके हैं। चूहों एवं छिपकली से शवों को सुरक्षित रखने के लिए जाल तो बनवा दिया है। मगर गर्मी के मौसम में खुले में रखे शव के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। विशेष रूप से तीन-तीन तक शव रखे रहने के बाद परिजनों के लिए घर तक ले जाना मुश्किल हो जाता है।
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घर पर बता नहीं सकते, दिल में छुपाया दर्दः-
जेएएच में कई लोग दूसरे राज्य या जिलों से इलाज कराने पहुंचते हैं। घर में मौजूद परिजन यही सोचते हैं कि उनके अपने का अस्पताल में इलाज चल रहा है। जबकि अस्पताल में मरीज की मौत के बाद अटेंडेंट यह साहस ही नहीं जुटा पाते कि घर में मौजूद लोगों को हकीकत बता सकें। क्योंकि कब पीएम होगा और कब शव मिलेगा इसका कोई अंदाजा ही नहीं है। लोग इंतजार कर रहे हैं कि उनको शव मिल जाए तो वह घर पहुंचकर हकीकत बताकर दुख हल्का कर सकें।
होटल ना लॉज, अस्पताल ही सहाराः- लॉकडाउन के चक्कर में होटल, धर्मशाला सब बंद हैं। ऐसे में जेएएच में मरीज की मौत के बाद परिजनों के लिए कहीं रहने तक का ठिकाना नहीं है। लोग जेएएच में ही इधर उधर रात गुजारकर फिर अगले दिन पीएम हाउस पहुंच जाते हैं, इस इंतजार में कि शायद आज उनको अपने का चेहरा देखना नसीब हो जाएगा।
सुबह तक थे 12 शवः-पीएम हाउस में शनिवार की सुबह तक 12 शव रखे हुए थे। जिनमें से 8 फ्रीजर जबकि 4 बाहर ही रखे थे। शाम तक हालांकि 5 ही बचे थे, अधिकांश का पीएम हो चुका था। मगर डॉक्टरों की माने तो रात तक फिर शवों की संख्या बढ़ना तय है।
टेस्ट हो जाए सबकी मंशा, मगर रिपोर्ट जल्दी आ जाएः-
परिजन हो या फोरेंसिक मेडिसिन के डॉक्टर, सभी चाहते हैं कि कोरोना की जांच होनी चाहिए। मगर रिपोर्ट में हो रही देरी सभी को परेशान किए हुए हैं। परिजन शव मिलने में देरी से परेशान है तो पीएम हाउस में डॉक्टरों के लिए भी शवों की संख्या बढ़ना चिंता का कारण बना हुआ है।
जेएएच अधीक्षक डॉ अशोक मिश्रा से सीधी बातः-
सवालः-हादसे या बीमारी से मौत होने पर भी कोरोना की जांच कराई जा रही है?
जवाबः-यदि मृतक कंटेनमेंट जोन से होता है तो जांच जरूरी होती है। क्योंकि ऐसा नहीं होने पर शव के कारण परिजनों में भी संक्रमण फैल सकता है।
सवालः-रिपोर्ट आने में देरी से शव 3-3 दिन से पीएम हाउस में रखे हैं?
जवाबः-बीमार व्यक्ति में तो बिना जांच शव देना संभव नहीं है। क्योंकि इन दिनों बिना लक्षण वाले मरीज भी आ रहे हैं। मगर हम हादसों वाले मामले में कोशिश करेंगे कि ऐसे मामलों में यदि मृतक कंटनमेंट जोन से नहीं है तो बिना जांच कराए उसका पीएम हो सके।
सवालः-शव जल्दी मिल सके इसके लिए क्या प्रयास किए जाएंगे?
जवाबः-हम फोरेंसिक साइंस एवं माइक्रोबॉयलोजी विभाग के डॉक्टरों में समन्वय बनाने की कोशिश करेंगे। जिससे ऐसे मामलों में जल्दी रिपोर्ट मिल सके और परिजनों को शव सौंपा जा सके।
सवालः-चार फ्रीजर खराब है, शव खुले में रखना पड़ रहे हैं?
जवाबः-कुछ फ्रीजर खराब जरूरी है, लेकिन हमने सही कराने के निर्देश दे दिए हैं। लॉकडाउन में सामान मिलने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी, इसलिए सही नहीं हो सके थे। अब जल्दी सही हो जाएंगे।