नई दिल्ली। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने देश में मोबाइल फोन नंबर को वर्तमान 10 की जगह 11 अंक (डिजिट) का किए जाने के बारे में लोगों के सुझाव आमंत्रित किए हैं. बढ़ती आबादी के साथ टेलिकॉम कनेक्शन की मांग से निपटने की जरूरतों को देखते हुए ये विकल्प अपनाए जाने का सुझाव है. ट्राई ने इस बारे में एक डिस्कशन पत्र जारी किया है जिसका टाइटल है 'एकीकृत अंक योजना का विकास.' ये योजना मोबाइल और स्थिर (लैंडलाइन) दोनों प्रकार की लाइनों के लिए है. आइए जानते हैं 11 अंकों के मोबाइल नंबर लाने की क्या है वजह...
- ट्राई के डिस्कशन पत्र में कहा गया है कि अगर ये मान कर चलें कि भारत में 2050 तक वायरलेस फोन गहनता 200 प्रतिशत हो (यानी हर व्यक्ति के पास औसतन दो मोबाइल कनेक्शन हों) तो इस देश में एक्टिव मोबाइल फोन की संख्या 3.28 अरब तक पहुंच जाएगी. इस समय देश में 1.2 अरब फोन कनेक्शन हैं.
- ट्राई का अनुमान है कि अंकों का यदि 70 प्रतिशत उपयोग मान कर चले तो उस समय तक देश में मोबाइल फोन के लिए 4.68 अरब नंबर की जरूरत होगी. सरकार ने मशीनों के बीच पारस्परिक इंटरनेट संपर्क/ इंटरनेट आफ दी थिंग्स के लिए 13 अंकों वाली नंबर श्रृंखला पहले ही शुरू कर चुकी है.
- 9, 8 और 7 से शुरू होने वाले 10 डिजिट के मोबाइल नंबर्स 2.1 बिलियन कनेक्शन कनेक्शंस ही दे सकते हैं. ऐसे में आने वाले समय के लिए 11 डिजिट वाले मोबाइल नंबर्स की जरूरत पड़ेगी.
- भारत में इससे पहले 1993 और 2003 में नंबरिंग प्लान्स की समीक्षा हो चुकी है. 2003 ते नंबरिंग प्लान ने 750 मिलियन फोन कनेक्शन के लिए जगह बनाई थी, जिसमें से 450 मिलियन सेल्युलर और 300 मिलियन बेसिक और लैंडलाइन फोन थे.
-बताया जा रहा है कि सिर्फ मोबाइल फोन के अंक अपडेट नहीं बल्कि फिक्सड लाइन नंबर्स को भी 10- डिजिट नंबरिंग में अपडेट किया जा सकता है.