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Monday, September 30, 2019

चंबल की इस महिला पहलवान ने नेशनल रेसलिंग में जीता गोल्ड मेडल, अब एशियन चैंपियनशिप पर नजर

ग्वालियर. चंबल की जिस महिला रेसलर रानी राणा को कुश्ती में करियर बनाने को लेकर उसके गांव वालों ने ताना दिया था, आज उसने इतिहास रच दिया है. जी हां, मध्य प्रदेश को आज अपनी इस बेटी पर फख्र हो रहा है. रानी ने नेशनल रेसलिंग प्रतियोगिता के 55 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है. महाराष्ट्र के शिरडी में आयोजित नेशनल वुमन रेसलिंग चैंपियनशिप में रानी राणा ने मध्य प्रदेश को यह गौरव दिलाया है. इस कामयाबी के साथ ही रानी ने एशियन और वर्ल्ड चैम्पियनशिप खेलने की पात्रता हासिल कर ली है.
एमपी की पहली गोल्ड मेडलिस्ट:-
ग्वालियर की रहने वाली रानी राणा (Rani Rana) ने महाऱाष्ट्र के शिरडी में आयोजित नेशनल वुमन रेसलिंग चैम्पियनशिप में धमाकेदार प्रदर्शन किया. रानी ने क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में विरोधी महिला पहलवानों को 10-0 की करारी शिकस्त दी. खिताबी मुकाबले में रानी का सामना उत्तर प्रदेश की नंबर एक रेसलर मानसी से हुआ. फायनल में रानी शुरू से ही मानसी पर हावी रही और आखिर में 6-2 से शिकस्त देकर रानी ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया. ये पहला मौका था जब मध्य प्रदेश को महिला रेसलिंग की नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला है. इस खिताब के साथ ही रानी नेशनल रेसलिंग में गोल्ड मेडल जीतने वाली मध्य प्रदेश की पहली महिला रेसलर बन गई है.
चंबल का नाम करेगी रोशन:-
नेशनल वुमन रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही रानी को वर्ल्ड लेबल पर खेलने की पात्रता भी मिल गई है. अब वह एशियन और वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत की तरफ से रिंग में उतर सकेगी. इसी साल अक्टूबर में रानी वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली है. वर्ल्ड चैम्पियनशिप हंगरी के वुडापेस्ट में होगी, जिसमें रानी भारतीय वुमन रेसलिंग टीम का प्रतिनिधित्व करेगी. वर्तमान में रानी राणा इंदौर कुश्ती अकादमी में ट्रेनिंग ले रही है. रानी के गोल्ड मेडल जीतने और वर्ल्ड चैम्पियनशिप का टिकट मिलने के बाद उनकी सहयोगी रेसलर भी खुश हैं.
जो ताने मारते थे, कर रहे तारीफ:-
रेसलर रानी राणा ग्वालियर जिले के जखौरा गांव की रहने वाली है. छोटे से गांव में जहां बेटियों के लिए स्कूल जाना तक संभव नहीं होता. उन्हें घर में रहकर चूल्हा-चौका करना पड़ता है. इन परिस्थितियों में भी रानी ने कुश्ती में करियर बनाया. जिद और धुन की पक्की रानी को शुरुआत में घरवालों के विरोध का ही सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी. अपने स्तर से कुश्ती की तैयारी करती रही. स्कूल स्तर पर खेलना शुरू किया, तो गांव के लोग उसके परिवार वालों को ताना मारने लगे. लेकिन वक्त के साथ-साथ रानी की शोहरत बढ़ी, तो गांव के लोग भी इस बेटी के दम-खम की तारीफ करने लगे. आज रानी सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में जाना-माना नाम हो गई है. गांव वालों का मानना है कि रानी ने उनके गांव का मान बढ़ाया है. रानी की कामयाबी से प्रेरित होकर गांव की अन्य लड़कियां भी अब पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में आगे आने लगी हैं.